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सोमवार, 30 जनवरी 2017

कल्पना


कल्पना, कल्पना हैं कितनी सुन्दर
ए कल्पना!

सुबह की कल्पना, शाम की कल्पना
आखों में बसी तस्वीर की कल्पना
मन की यादों में दबी हुईं कल्पना
जैसे शाम की गोधुली वेला सी
धुन्धुली होती हुई कल्पना
होंठों से उस एहसास को
छु लेने की कल्पना
बातों से दिल के गहराई में
उतर जाने की कल्पना
जीवन की मनचाही तस्वीर
बना लेने की कल्पना
कभी डराती तो कभी रुलाती है कल्पना
कभी गुनगुनाने तो कभी मुस्कुराने
की वजह दे जाती है कल्पना
कभी अपनों से दूर जाने की कल्पना 
तो कभी अपनों को सपने में ही
मिल जाने की कल्पना

कल्पना, कल्पना हैं कितनी सुन्दर
ए कल्पना!

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