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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

तेरी यादें

मेरे मन में तेरी यादें
रच-बस गई हैं ऐसे
मैं चाहूँ भी तो
भूल न पाऊँ उसे
मन के हर पन्नो पे
छपी तस्वीर के जैसे!

बचपन का वो पल
न कोई चिंता
न कोई उलझन
हम बच्चों की एक टोली
कुछ छोटे, कुछ बड़े
न उम्र की कोई बंदिश
न जात-पात कि बातें
न गरीबी न अमीरी
बस हर ओर ख़ुशी ही ख़ुशी!

मेरे मन  में तेरी यादें
अब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हैं
हर ओर उलझन
हर ओर साज़िश
कहने को सब हैं
फिर भी अकेले
कुछ पल हैं ख़ुशी के
तो भी उन यादों की
काश वो पल फिर लौट आता
हम अपने बचपन की भाँती
आज भी खुश हो पातें
बिना-बैर-बिना रंजिश के

सबको गले लगा पाते!!

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