यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शुक्रवार, 31 मार्च 2017

कोशिश

बूंद-बूंद से घट भरता हैं
नदी-नदी से सागर
जल के निर्मल जीवन-सा ही
अपना जीवन कर दो!

चंद पल अपने जीवन का सेवा में लगा दो
हजारों दुखियों के चेहरे पर मुस्कान आएगी
अनजाने डर को अपने जीवन से भगा दो
कोशिश को अपना मकसद बना लो
सफलता एक दिन द्वार खटखटाएगी!

लोग कहते हैं गैरों के लिए जीओ
मैं तो कहती हुईं सिर्फ अपने लिए जीओ
इमानदारी से अपने और अपने रिश्तों
के लिए जी के तो देखो
जिंदगी सुहावनी अपने आप बन जाएगी
जब हम खुश होंगे तो हमारे आस-पास का
माहौल खुशनुमा अपने आप बन जाएगा!

छोटी-छोटी बातों में खुशियाँ ढूँढो
बड़ी तो अपने आप मिल जायेगी
ज़िन्दगी बड़ी कीमती हैं
इसे शिद्दत से जी लो
कुछ अपने कुछ अपनों के लिए करो

बार-बार ऐसा मौका कहा आएगा!!

गुरुवार, 30 मार्च 2017

पापा

यह छोटा सा शब्द
क्षितिज से भी बड़ा है
हैं पापा जिसका नाम
कंधो पे पूरे परिवार
की जिम्मेदारी
और आँखों में उनके लिए
ढेरों हैं सपने
चेहरे पे हमेशा बच्चो के लिए
हंसी ही होती हैं
बच्चों की हर परेशानी को
हंसकर उठाते हैं
जिनका पूरा संसार
अपने बच्चों में समाया हैं
बच्चों के ही सुख में हमेशा
अपना सुख पाया हैं
अपनी हर सांस को पापा
बच्चों पर लुटाते हैं
कभी कठोर तो कभी
मोम बन जाते हैं
अपनी भूमिका हर रूप में निभाते हैं पापा
अपने बच्चों को हौसले का पाठ पढ़ाते हैं पापा
जिनकी वजह से हर बच्चे की
दुनिया जगमगाती हैं
उस शख्स का नाम हैं पापा
पहली बार धरती पर कदम रखने से लेकर
जीवन की कठिनाईयों तक सफ़र तय करने में
हर यादगार पल निभाते हैं पापा
जिनकी याद हमेशा मन को खुश कर देती हैं
बच्चों के जीवन का वह एहसास है पापा!!

बुधवार, 29 मार्च 2017

घर-आँगन

अपना तो हैं बस एक सपना
बस घर हो अपना-सा एक
जिसके चहुँ ओर हवाएं हो
हवाओं में फूलों की खुशबू
घर से बाहर तक फैली हो
सब कुछ हो साफ-सुथरा
फूल के बागीचे में
तितलिओं की बाहार हो
रंग-बिरंगे फूलों से
घर-आँगन हो महकता मेरा
सूर्योदय की पहली किरण के साथ
ज़िन्दगी मुस्कुराती हो आँगन में ऐसे
जैसे दुनिया की हर चीज़ पालि हो हमने
घर की दीवारे भी मुस्कुरा कर
कुछ कहना चाहती हैं
वह अपनी शीतलता भी
हम पर लुटाना चाहती हैं
हमे अपने छाव में बिठाना चाहती हैं
घर का सुख हैं उसमें रहनेवालों की शान्ति से
उनके बीच बंधी प्यार के डोर से
घर हो अपना तो बस ऐसा हो
आओ मिलकर के हम घर को मंदिर बनाए

जहां प्रेम और करुना की सागर बहाएं!!

मंगलवार, 28 मार्च 2017

बाबा

बाबा के दरबार से कोई जाता नहीं हैं खाली
बाबा को जब भक्त पुकारे बाबा रुक नहीं पाते
तेरी महिमा अपरम्पार हैं बाबा पार लगाओ
हम मझधार में अटके पड़े हैं मुझको राह दिखाओ
बाबा दर्शन दे दो हमको नैया पार लगा दो
सारी दुनिया ठोकर मारे अब तो तुम अपना लो
प्रभु जी मेरे दर्शन दे दो साईं
बाबा मेरे देर न करना सब्र हमारा टूट रहा हैं 
पर न हम ये चाहे
सारी दुनिया छोड़ दे हमको
पर तेरा ये हाथ न छुटे
तेरे पर विश्वास न टूटे!

बाबा तेरी महिमा अपरम्पार बाबा पार लगाओ
जीवन के इस सत्य के आगे सबको तुम झूटला दो
प्रभु जी मोहे पार लगादो साईं
जीवन की सच्ची राह दिखाओ प्रभु
जीवन को सफल बनाने में मंजिल को पाने में
चहुँ ओर ख़ुशी बरसाने में मेरी मदद करो भगवान
हम आस लगाए बैठे हैं प्रभु दर्शन दे दो आज

तेरी महिमा अपरम्पार हैं बाबा पार लगाओ!!

सोमवार, 27 मार्च 2017

मेरे साईं राम

साईं राम साईं राम साईं राम कहिये
मेरे श्याम मेरे राम साईं राम कहिये
साईं-राम, साईं राम सुबहो शाम जपिए 
मेरे राम, तेरा नाम जग सारा जपता
मेरा मन हर पल पुकारे साईं राम
साईं राम साईं राम साईं राम कहिये
मेरे श्याम मेरे राम साईं राम कहिये
मुरली मनोहर श्यामा श्याम श्याम कहिये
साईं राम साईं राम राम राम कहिये
शिर्डी साईं, सत्य साईं साईं राम राम कहिये

मेरे श्याम मेरे राम साईं राम कहिये!!

रविवार, 26 मार्च 2017

भक्ति भावना

गौर छंटा के श्याम घटा के दृश्य मनोहर हैं
चपल चंचला तुम पर मेरे प्राण न्योछावर हैं
भारत माता तुम पर मेरी जान न्योछावर हैं
माँ लक्ष्मी के रूप अनेक
हर रूप दया और करुणा के
सागर की भाँती हैं!

गौर छंटा के श्याम घटा के दृश्य मनोहर हैं
चपल चंचला तुम पर मेरे प्रण न्योछावर हैं 
तुम करुणा की सागार हो माँ
दया धर्म की सागार हो माँ
तेरी चरणों में वर्षो से विनती
करती आई हूँ माँ
मेरी आँचल भर दो माँ
खुशियों के सागर से
मेरे अंदर वो ममता दो
जो बाँट सकूँ मैं सब पर
अपना-गैर भूलकर के माँ
सेवा सबकी करूँ
गौर छंटा के श्याम घटा के दृश्य मनोहर हैं
चपल चंचला तुम पर मेरे प्रण न्योछावर हैं!!

शुक्रवार, 24 मार्च 2017

अंतर्मन

वाह रे नारी तेरी कथा भी कितनी न्यारी
तेरे जन्म पे न ढोल बजे न नगाड़े
अपनों के चेहरे पर मुस्कुराहट
बड़ी मुश्किल से आई
कही कोई देख न ले कि
बेटी के जन्म पर माँ खुश हैं
कही कोई सास को ताने न मार दे
तेरी बहु कैसी है आई!

वाह रे नारी तेरी कथा भी कितनी न्यारी
घर के आँगन में चहकती चिड़ियों
की तरह रहती हरदम
नर की तो छोड़ो नारियों के
दिल में भी जगह बना न पायी अपने लिए
खुशियाँ बाँटती है सबके लिए
पर अपने हिस्से आती हैं झोली खाली!

वाह रे नारी तेरी कथा भी कितनी न्यारी
खुशियों के सागर में भी
प्यासी ही रहना तेरा नसीब
चांदनी रात में मन में छाया हैं अँधेरा
चंद नारियां ही अपना इतिहास लिख पाती हैं
ऐसा दिन कब आएगा जब हर नारी
अपना अनोखा इतिहास बनाएगी
अपने परिवार में अपनी जगह

सबको बतलाएगी!!

गुरुवार, 23 मार्च 2017

होली

सजन रे होली आई
उड़ते रंग गुलाल देख
अब मन में मस्ती छाई
गूंज रहे हैं कानो में
होली के गीत हज़ार
मन नाच रहा हैं मेरा
क्षण भर गा लूं उन गीतों को
दुखमय जीवन को बहला लूं
खुद को फाग के साथ भुला दूं!

साजन रे होली आई
मन के घावों पर रंग लगा दूं
तन को रंगों से भर दूं
जीवन रंगीन बना दूं
उड़ते रंग गुलाल देख
अब मन में मस्ती छाई!

साजन रे होली आई
उड़ते रंग गुलाल देख
अब मन में मस्ती छाई
गाँव शहर और गली मुहल्लें
सब रंगों के रंग में रंग गए
भूल बिसर कर बैर-भाव सब
गले मिल गए सब हंसी ख़ुशी!!

मंगलवार, 21 मार्च 2017

गधा प्रसंग

वाह रे भाई
कैसे दिन हैं आए
गधे भी आज
वी.आई.पी जीवन में
अपनी जगह हैं बनाई
हर तरफ चर्चा है उसका
कोई पीछे रहना नहीं चाहता
गधे के नाम से
दिन की शुरुआत होती
तो शाम भी उसी के चर्चे से
गली का नुक्कड़ हो
या चुनावी जन सभा
हर तरफ गधा ही गधा हैं
पब्लिक हो या नेता
चर्चा ही चर्चा हैं
हम इंसान ने की कैसी
शामत है आई
गधो के बराबार भी
हमें भाव नहीं मिलता
टीवी कि टी.आर.पी भी
आज गधो को मिल रही हैं
हम तो बस उसके
गीत गाने में
अपना दिन बिता रहे हैं
ज़िन्दगी हो तो बस गधो सी हो
जिसके कायल
हमारे प्रधानमंत्री भी हैं
अपनी भी कोई ज़िन्दगी हैं
बस जिए जा रहे हैं
कोई चर्चा भी करता हैं
तो बस भीड़ का हिस्सा हैं
काश गधो कि तरह
अपना भी भाग्य होता हैं
रातों-रात सितारे बन जाते
वाह रे गधा

क्या किस्मत हैं पायी?!!!!

रविवार, 19 मार्च 2017

चुनावी सभा

सभा अब चुनावी सजा बन गई हैं
सभा जो सभी जातियों को बताती
सभा में सभी को अलग हैं बिठाती
ये तेरा इलाका, ये मेरा इलाका
तेरा जोड़ चल जाए तो वो जीतेगा
मेरा जोड़ चल जाए तो वो जीतेगा
गणित ये तभी फल सकेगा हमारा
जो जाति की जाती से होगी लड़ाई
इनकी लड़ाई में मेरी भलाई
सभी कुछ नया हो, नए रंग में हो
जनता हो जिससे भ्रमित हर तरफ से!

सभा अब चुनावी सजा बन गई हैं
जनता भी अब तो सजक हो गई है
चमक खो बिखर हैं रहा हित हमारा
उजड़ हैं रहा प्रेम मंदिर हमारा
इसे अब सवारे, सबक अब सिखाओ
ये नेता हमारे इन्हें अब सिखाओं
नहीं अब चलेगी बनावट की बातें
हमें चाहिए पूरा हक़ अब हमारा

सभा अब चुनावी सजा बन गई हैं!!

गुरुवार, 16 मार्च 2017

अच्छाई

फूल से खुशबू चूडाकर
भोरों ने फैलाया नभ में
जैसे खुशबू फैलती हैं
हवा के झोंके के सहारे
वैसे ही अच्छाई अपनी
छाप पीछे छोडती हैं
सौ बुड़ाई हारती हैं
एक सच्ची जीत से
सच का जो दर्पण दिखा दे
राह भटको को दिखा दे
फूलो से खुशबू चूडाकर
ज़िन्दगी अपनी सजा ले
आंधी की रफ़्तार को भी
थाम ले विश्वास से
हर किसी को ज़िन्दगी के
मायने समझा सके
दिल से दिल को जोड़ने की
हर कला अपना सके
गम के दामन में ख़ुशी के

फूल जो बरसा सके!

बुधवार, 15 मार्च 2017

धरा

हरा रंग हैं हरी हमारी
धरती की अंगड़ाई
केसरिया बल भरनेवाला
सादा हैं सच्चाई
केसरिया अब द्वार खड़ा हैं
जीवन नया बदलने को
फिर कब तक हम बाट देखते
जाती बंधन के बीच फंसे
आज़ादी के लिए तरसते
अपना भविष्य दूसरों के हाथ सौंप कर
खूदको अपराधी कहलाते
अपने ही काम के ख़ातिर
बख्शीश बाँट कर अपराध को
खुद ही हवा देते रहेंगे!

हरा रंग हैं हरी हमारी
धरती की अंगड़ाई
केसरिया बल भरनेवाला
सादा हैं सच्चाई
लेकिन अब नया सूर्योदय होगा
कीचड़ में भी कमल खिलेगा
मन से सारे मैल धुलेंगे
कमल की ही तरह
हमारी धरती को खिलना होगा
मोदी की अगुवाई में
देश को बदलना ही होगा
हर ओर ख़ुशियों की लहर होगी
जात-पात के बंधन से मुक्त
हमारी ये धरती होगी
राम-राम के जयघोष से
गूंज उठेगी ये धरती
विश्व गुरु बनने के लिए
हमने कदम बढ़ा दी हैं
अब मंज़िल पर पहुंच के ही दम लेंगे
हम भारत माता की संतान हैं
अपनी धरती को हरा-भरा
और माहौल को केसरिया बनाके ही दम लेंगे!!

मंगलवार, 7 मार्च 2017

बदलाव

हर रोज़ प्रकृति से दूर हो रहे
खतरे में अस्तित्व परा हैं
आज के मानव जाति का
वायु प्रदुषण चरम पे पहुंचा
जल धरती से दूर हो रहा
गर्मी अपने चरम पे पहुंची
ठण्ड ने बदला मिजाज़ अपना
वसंत आता हैं कब
और चला जाता हैं कब
हम सोचते रह जाते हैं
फाग के रंग भी फीके पड़ गए
रंग मिलावट के भेंट चढ़ गए
मिठास कड़वाहट में बदला
दिल से दिल की दूरी बढ़ गई
कोई किसी से गले न मिलता
गिले शिकवे दूर न करते
छोटी-छोटी बातों में भी
सबकी इगो आड़े आती
गाडी की आवाज ने हमको
दर्द के एहसास से दूर कर दिया
ज़िन्दगी की कीमत
शानो-शौकत के आगे फीकी पड़ गई
अपनों के प्यार की जगह
पैसो ने ले लिया
शहरों की तस्वीर बदली
पर हमने अपनी सूरत
कब बदल के रख दी
जिसका हमें पता ही नहीं चला
काश फिर से वही दिन और
वही रात आ जाती
हममें अपनों के लिए जीने का
फिर से हुनर आ जाता
प्रक्रति मेहरबान फिर से
हर ओर हो जाती!!

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

अनायास

अनायास ही आज हमारे मन में जागे वो पल
साथ-साथ हम तुमने मिलकर जिनमे रंग भरे थे
अनायास मन के आँगन में फिर से उत्सव जागे
कहाँ-कहाँ हम साथ-साथ कितने वसंत निकाले
पतझड़ के भी कितने मौसम साथ गुज़ारे हमने!

डाल हाथ में हाथ खड़े हैं मंदमंद मुस्काते
कितनी बार छोड़ तुम जाते मूक विवश मुद्रा में
अनायास फिर इन्द्रधनुष को देख मेरा मन मुस्काए
अगले पल ही गहन सोच में मैं फिर से खो जाती
अनायास फिर आज नयन में घूम गया वह आँगन
जहां सांझ कि बेला में हम साथ-साथ उतरे थे
प्रणय सफ़र का पहला दिन वो आज भी हैं हमे याद!

अनायास ही आज हमारे मन में जागे वो पल
साथ-साथ हम तुमने मिलकर जिनमे रंग भरे थे
गर्मी-सर्दी-वसंत-सावन बीते मौसम तमाम
जीवन के सुख-दुःख के भ्रम में
साथ तुम्हारा हैं हर पल में
अनायास ही आज हमारे मन में जागे वो पल

साथ-साथ हम तुमने मिलकर जिनमे रंग भरे थे!!

बुधवार, 1 मार्च 2017

रिश्ते नाते

रिश्ते नाते प्यार वफ़ा सब
ये सब तो अब सपना हैं
बँगला गाड़ी रूपये पैसे
इनसे सबको प्यार हैं आज
एक घर में दस-दस घर बनते
अजब-ग़जब संसार बना
जिससे कुछ मिलने की आशा
सबको उसी से प्यार हैं आज!

रिश्तों के आगे पैसों का
कैसा गर्म बाज़ार हुआ
जिसकी खन-खन से ख़ुशियाँ हैं
जिसके जाने से रोना हैं
अजब-ग़जब संसार की लीला
कैसा ये माहौल बना!

रिश्ते-नाते प्यार वफ़ा सब
ये तो बस पैगाम बना
अपने ही अपनों के दुःख से
कैसे अब अनजान बना
रूपये-पैसों की ताकत ने

सबको अपने बस में किया!!