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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 9 सितंबर 2017

ख्वाब

चाहे हकीकत हो या ख्वाब
बस हो वो लाजवाब
किसी के दिल में क्या छुपा है
सब हो जाए बेनकाब तो
तो मंजर होगा लाजवाब
मैं अच्छी हूँ पर
दुनिया के नज़र में हमेशा बुरी हूँ
अगर मैं सच में बुरी होती तो
रिश्तों की परिभाषा ही अलग होती

चाहे हकीकत हो या ख्वाब
बस हो वो लाजवाब
जीवन एक सफ़र है
ओर हम सब उसके मुसाफ़िर
चिड़ियों के कलरव ध्वनि से भोड़ के
मधुर भजन के स्वर से हो हर शाम
ज़िन्दगी मुश्किलों का अंबार ही क्यों न हो

ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत
सामने मेरे आओ
जीवन की इन रंग रलियों में
कुछ तो रंग भर जाओ
कोई जीए हज़ारों साल

हम क्षण में हैं मालामाल!!

शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

जीवन दान

सामने डूबती सांसो का ऐसा मंजर था
ख्वाबो में सब अपना था
पर हकीकत में सब सपना था
चंद लम्हे कट जाए तो गनीमत हो
पर इस विकट  घडी में किसी ने अपना कहने की
हिम्मत जुटाया था तो वो थे
वो थे हमारी मुकिल की घडी में
हमारा साथ देने वाले वो भाई
कर्जदारों ने हमें अपना कहने का साहस जुटाया
बड़ी मुश्किल से खुदा से
हमारी जिन्दगी के लिए चंद लम्हे
देने की गुजारिश की
हुजुर बन्दे को कुछ वक्त दे दीजिये
और कुछ न सही
हमारा कर्जा ही उतार लेगा
जिंदगी ने इसे कुछ तो दिया नहीं
शायद मौत ही इसे अपना ले
पर आपसे विनती है सरकार
आप इतने निष्ठुर न बन जाइये
ये तो एक इमानदार आदमी है
घपलेबाजों पर आप तो कई बार तरस खातें है
इस पर एक बार की मेहरबानी तो दिखाइए
जिंदगी जीने में न सही
मरने में ही इसे अमरत्व दे दीजिये !!

गुरुवार, 7 सितंबर 2017

घर

सोचा था मैं एक सुन्दर सा घर बनूंगी
जिसमे शांति सुकून और प्यार
सब साथ-साथ रहेंगे
लेकिन क्या पता था
वक़्त को कुछ ओर ही मंजूर है
ज़िन्दगी तिनके जड़ने में ही निकल जाएगी
वक़्त बातो बातो में ऐसे गुज़र जाएगा
शांति, सुकून और प्यार मेरे लिए सपना बन जाएगा
घर अपना तो न बना सके
पर मलाल इस बात का रहा
कि घर गैर का ही सही
ज़िन्दगी तो सुकून से बिता लेते
खुदा की इतनी इबादत भी
हमे कम से कम मिल जाती
शुक्रिया दिल से उनको करके
हम इस जहाँ से निकल लेते
खुदे ने हमे इस काबिल भी न समझा


मंगलवार, 5 सितंबर 2017

एक कदम

बस एक कदम तुम और चलो
मंजिल के पास खड़े हो
थोड़ी हिम्मत और साहस से
तुम लक्ष्य भेद सकते हो

यह लक्ष्य हमारा मृगमरीचिका बनकर क्यों आया है
बरसों से है कदम हमारे एक ताल पर चलते
फिर भी मेरा लक्ष्य आज तक
नज़र मुझे नही आया

हर कोशिश बेकार हुई
हर लक्ष्य हमारा छूटा
मेहनतकस और खुद्दारी का
दंभ हमारा टूटा

मन के कोनों में बैठी है
रूह कापती मेरी
क्या ये मेरा जीवन मुझको
ठोकर ही मारेगा

कभी ख़ुशी की दो बूंद से
मेरा मिलन न होगा
सत्य तड़पता रह जाएगा
झूठा मौज मनाएगा
रात अंधेरा छाया ऐसा

शायद दिन नहीं आएगा

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

सपना

रिम झिम बरसता सावन होगा
झिल मिल सितारों का आँगन होगा
खुशियों की तारों की बारात होगी
हाथों में मेहँदी सजी आज होगी
साजन के आने की झंकार होगी
मिलन चांदनी रात तारों की होगी
बेला के फूलों से सजता हुआ द्वार
खुशबू गली की हवाओं में होगी
ख़ुशी ही ख़ुशी हर तरफ दिख रही है
नए दिन के आने की आहट बनी
ये दामन ख़ुशी का हींआँगन बना है
नहीं कोई गम ज़िन्दगी में हमारे
कि वर्षों का सपना हकीकत बना है

ऐसा सुन्दर सपना अपना जीवन होगा!!