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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 28 अक्तूबर 2017

ख़ामोशी

पलकों के कोनो से अश्रुधारा बह रही
नयनों के नीर से तन बदन भीगे मेरे
मानकर मुझको पराया भूल सब मुझको गए
थे कभी अपने जो मेरे आज बेगाने हुए

आठों पहर अठखेलियाँ थी गूंजती किलकारियां
अब उसी घर में हैं पसरी सूनापन खामोशियाँ
काश माँ की ममता में इतनी ताकत होती
कि वो कभी भी अपने बच्चों को अपने पास बुला पाती
उनके मन में अपने लिए आदर जगा पाती
ममता के आँचल को आँसू के बजाय
किलकारियों से भींगा पाती
जीवन परिवर्तनशील है
वक्त के साथ अपना रंग बदल लेती हैं
पर माँ में इतनी हिम्मत कहाँ कि
वो वक्त के साथ ममता का मायना बदल पाती
मेरी ये कविता उन बच्चों के लिए
एक छोटा सा सन्देश हैं
जिन्होंने अपने माता-पिता को
जीते जी बेगाना कर दूर देश चले गए
और फिर कभी उनकी कोई सुध न लि
माँ की ममता को यू बाज़ार में नीलाम
न करो मेरे दोस्तों
अपना भी वक्त कुछ वर्षों में
वैसा ही आने वाला हैं
प्रभु के इस वरदान को यू न ठुकराओ
अपने हृदय का दरवाज़ा खोल दो
सबको एक हो जाने दो!!

रविवार, 22 अक्तूबर 2017

मेरा सपना

तुम हो मेरे कल्पना से परे
तुम साकार प्रतिमा हो
जिसे मैं देख, सुन और छू सकती हूँ

पर तुम्हारी चाहत की तस्वीर में
मैं अपनी तस्वीर जब भी ढूँढ़ती हूँ
वो तस्वीर अनजानी सी मुझे लगती हैं
एक बेगाना सा एहसास होता है

क्या ये हमारा भ्रम है
या हैं कोड़ी कल्पना
मेरे ख़ूबसूरत संसार में
ऐसी बातों का कोई मतलब तो नहीं

पर मन तो बेलग़ाम घोड़ा हैं
कभी-कभार भटकने ही लगता हैं
तुम तो मेरी चाहत मेरा संसार हो


तुमसे दूर जाने की कल्पना भी
मेरे लिए तूफ़ान से कम नहीं
तुम मेरे हो और सिर्फ मेरे हो
तुम्हारे कल्पना पर भी अधिकार हमारा है
ये छोटा सा संसार हमारा हैं !!!

सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

दिवाली

दीपों का त्योहार बड़ा है
पावन ये संसार मेरा हैं
जग का हर अंदाज़ नया है
हर घर  में पकवान नया है

दीपों का त्योहार बड़ा है
फूलझड़ियों और लड़ियों से तो
सारा अब बाज़ार अटा हैं
फ्रूट-मिठाई खेल-खिलौने
रंग-बिरंगे फूलों से
देखों अब बाज़ार सजा हैं

दीपों का त्योहार बड़ा है
रंगोली हर घर की शोभा 
हैं प्रतिक ये दीपक मेरा 
सच्चाई की जीत का 

दीपों का त्योहार बड़ा है 
दीपक से घर सजता है पर 
रौशन होता मन का कोना-कोना 
रंग -बिरंगे खिलौने पाकर 
बच्चे खुश हो जाते है 

दीपों का त्योहार बड़ा है 
ये पावन त्योहार हमारा 
ढेरों बातें सिखलाता है 
जीवन की हर कठिन घडी में 
मुस्काना सिखलाता है 

दीपों का त्योहार बड़ा है 
सत्य की जीत पर 
हर घडी हर दीप पर 
आपका अधिकार है 
मुस्कुराओ गले लगाओ 
ज़िन्दगी हँस कर बिताओं 


दिवाली की आप सबको हार्दिक बधाई 

शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017

हमराज

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
विरह-मिलन का राज़ बताना
अपना ये अंदाज़ बताना

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
दिल की धड़कन को सुनकर के
साथी का मिजाज़ बताना

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
जीवन नैया के डगमग से
सुर का नया कोई साज बनाना

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
जीवन के उलझन में अपनी
दिल का कोई तान सुनाना

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
कोमल मन निष्ठुर जीवन है
राह कठिन को सुगम बनाना
साथी का तुम साथ निभाना

ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
जीवन के संकल्प में अपने
हाथों से रंग भरकर जाना

रंग बिरंगी रंगोली सी
दीये की सी पावनता हो
चंदा सा हो सरल मधुर जो
सूरज सा हो तेज जहाँ पर
अपना घर तुम वही बनाना
ऐ मेरे हमराज बताना
दिल के कोई साज सुनाना
जीवन को संगीत बनाना!!

सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

दिलों का फ़ासला

दिल से दिल का ये फ़ासला अब
गहरी खाई में तब्दील होता गया
कहीं पैसों ने तो कहीं जातियों का
अहम् भावना में समाता गया
आदमी-आदमी की तरफ देखने में
शरम आज भरपूर आने लगा है
शितम्गर ये दुनिया तमाशा हमारा
कहीं न कहीं तो बनाता रहेगा
ज़मीनी हक़ीकत को हम देखकर के
स्वयं को हमारी पुरानी धरा में
कभी न कभी लौट जाना पड़ेगा
मिलजुल कर गलियों में गीतों का गायन
घर की डयोढ़ी पे बीते पूरी शाम
हँसी और ठहाकों से गूंजे दिशाए
वहीँ दिन और रातों हो पावन हमारी
सभी मिलके बाटे जो खुशियाँ हमारी
दिल से दिल की न दुरी कभी भी बने
खुशियों की सौगात हर घर में  हो.

रविवार, 8 अक्तूबर 2017

भाभी ननद संवाद

भउजी खोल दियउ गठरी अपन हे
अखन राखी के अयलै त्यौहार हे
ननदी मांगये नेग अपन हे
भउजी खोल दियउ गठरी अपन हे

भैया तकैत छथ मुहवा अहि के
कनि हँस दिऔ खुल के एखन हे
नेक देख लिए अपन अहा सब
भैया देलन ह कथी दिल खोल के

भउजी खोल दियउ गठरी अपन हे
अएलै साल भर पर राखी हमर हे
इंहा आबे ला कईली ह केतना जतन हे
जइबै ससुरा जखने तखन हे
सांस पूछ तन देखाबा त नेग अपन हे
भाई देलको ह नेग केहन हे

भउजी खोल दियउ गठरी अपन हे
सांसु खोलथिन जे गठरी हमर हे
खुश होइथिन नेग देखके हमर हे
भउजी होयत नाम अही के ऊपर हे
भउजी खोल दियउ गठरी अपन हे

शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2017

यादें

सूनी-सूनी अखियों में
भीगी-भीगी रतियों में
सूनी-सूनी गलियों में
दिल रोये मेरा तुम बिन
घर की दीवारों में
गम की अहातों से
मुँह जो चिढ़ाए मुझे
बतिया सुनाए मुझे
तानों की बातों से
नैन भिगोए मेरे
यादों की बातों ने
सूनी-सूनी अखियों में

भीगी-भीगी रतियों में 

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

साईं राम

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो
राधा रमन हरी गोविन्द बोलो
गोविन्द जय जय गोपाल जय जय
साईं राम जय जय राम नाम जय जय
कैलाश वासी शिव-शंकर जय जय

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो
राधा रमन हरी गोविन्द बोलो
सुबहो सवेरे साईं नाम बोलो
शिरडी साई बोलो सत्य साई बोलो

राधा रमन हरी गोविन्द बोलो
सीता राम बोलो राम-राम बोलो
साई राम जय जय राम नाम जय जय
कैलाश वासी शिव-शंकर जय जय.

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

माँ भारती

भारत माता ग्राम वासिनी 
पत्थर की प्रतिमा निवासिनी 
गौरव गाथा मय प्रवासिनी 
सर पर मुकुट हाथ में ध्वज 
वीरों का नमन स्वीकार कर 

भारत माता ग्राम वासिनी 
पत्थर पर भी फसल उगाकर 
हरित क्रान्ति का सृजन किया है 
माँ का आँचल हरियाली से भर कर 
प्रातः प्रशस्त कर दिया देश का 

भारत माता ग्राम वासिनी 
पत्थर की प्रतिमा निवासिनी 
उज्जवल भविष्य का मार्ग 
प्रशस्त किया है 
हर मेह्नत कश हम वीर पूज 
माता का गौरव बनकर के 
घर जाएंगे हम विश्व पहल कर 

भारत माता ग्राम वासिनी 
पत्थर की महिमा निवासिनी!!