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अयोध्या धाम

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रविवार, 31 दिसंबर 2017

प्रीत

प्रीत में सब कुछ भुला कर
आप को दिल में बसा लूँ
स्वप्न के मंदिर में अपने 
देवता उनको बना लूँ 

प्रीत में सब कुछ भुला कर 
गीत गा कर के सुना दूँ 
धुन नए अपने बना लूँ 
ज़िन्दगी के फूल को 
राह में उनके सजा दूँ 
प्रीत में उनको समर्पित 
हर ख़ुशी हर गम समर्पित 
हर घड़ी हर क्षण समर्पित 
स्नेह के कण-कण समर्पित 

प्रीत है एक शब्द छोटा 
पर हैं इसका अर्थ विशाल 
न ही इसकी कोई सीमा 
बन्धनों से मुक्त हैं ये 

प्रीत में सब कुछ भुला कर 
नीत नए रिश्ते बना कर 
ज़िन्दगी के राह में
नीत नया सन्देश लेकर
सब को हम बताएँगे.

बुधवार, 27 दिसंबर 2017

ठिठुरता हुआ आम आदमी

दिसंबर की सर्द  रात ऐसी
कि इंसान बर्फ का सीला बन जाए
पर पेट की भूख ऐसी
कि घर से निकलना ही पड़ेगा

ज़िन्दगी में कुछ बेहतर करना हैं
इस ललक ने इतना मजबूर कर दिया
चाँद दूर हैं बहुत फिर भी
इसे अपनी मुट्ठी में भरना है मुझे

ठोकर खाकर भी दौड़ना हैं हमें
गिर कर भी
मंज़िल की ओर कदम बढ़ाना  है हमें
मुमकिन है
कुछ आगे निकल ही जाएंगे

ये सर्द रात इतनी गहरी हैं
कि अपनी पदचाप भी
दिल को डरा रही है
पर हौसला हममें भी कम नहीं

ज़िन्दगी बार-बार हमको रुला रही
हर रिश्ता अग्नि परीक्षा
हमसे ही मांगता है
पर हम हैं कि
इस रात की भाँती
दिल थाम कर बैठे हैं
कुछ ठान कर बैठे हैं
जीवन के दर्द को पहचान कर बैठे हैं!!