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शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

जीवन साथी

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
हर जीत तुम्हारे हाथों में
हर हार तुम्हारे हाथों में

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
तुम ही अब मेरी किस्मत हो
तुमसे जीवन की रौनक है

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
परिवार तुम्हारा या मेरा
अब सब कुछ तेरा है अपना
इन अनजानों की बस्ती को
अपनत्व का पाठ पढ़ा देना

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
रिश्तों की लाज सदा रखना
हर रिश्ता जीवन ज्योति है
जीवन सुख-दुःख का मोती है

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
जीवन के मुश्किल से डरना
या उससे लड़कर
जीवन के पथ पर आगे बढ़ना
है दायित्व तुम्हारा सब अपना

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
करबद्ध निवेदन करता हूँ
कितनी भी मुश्किल आ जाए
सब लोग विरोधी हो जाए
पर अपना कर्तव्य निभाना
भूल न तुम साथी जाना

अब सौप दिया हैं जीवन का
हर भार तुम्हारे हाथों में
जीवन तो दर्पण है मेरा
उस दर्पण को पढना सीखो
मुश्किल तो आता-जाता है
पर रिश्ता सदा निभाना है.

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