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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 24 मार्च 2018

मौसम

हर ओर ख़ुशी है छाई
मौसम ने ली अंगड़ाई
पतझड़ के बाद वसंत है आई
सूखे पत्ते झड-झड कर
चारों ओर है फैले
शीतल हवा के झोकों से
उड़ते ये सूखे पत्ते
हर कानों में मधुर ध्वनि
माहौल में ख़ुशियाँ फैलाते
मन उमंग से भर तब जाता
हम गीत फाग के गाते
फसल हमारे घर तक आते
नए-नए पकवान बनाते
मौसम तेरा क्या जादू है
कभी ख़ुशी तो कभी ग़मों का
सागर लेकर आते
घर-घर में खुशियाँ फैला कर
फिर तुम घर को जाते
नई उमंगें नया सवेरा
हमको देकर जाते
मेरे सूने जीवन में तुम
नए रंग भर जाते
फूलों की मुस्कान सदा ही
अपने दिल को भाति
रंग-बिरंगे फुल खिले है
प्रकृति का श्रृंगार सुहाना
अपने मन को भाया
जीवन में भी रंग हो ऐसे
हर मन में खुशियाँ हो इतनी
जितनी वसंत में रौनक.

मंगलवार, 20 मार्च 2018

वक्त नहीं

आँखों में नींद है मेरी
पर सोने का वक्त नहीं
दिल है गमो से भरा
पर रोने का वक्त नहीं

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े
कि थकने का भी वक्त नहीं
पराए एहसानों की क्या क़द्र करे
जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नहीं

तू ही बता ए ज़िन्दगी
इस ज़िन्दगी का क्या होगा
कि हर पल मरने वालों को
जीने के लिए भी वक्त नहीं.

शनिवार, 10 मार्च 2018

सांझ ढले

तुम पावन दिल तेरा निर्मल
गंगा की धारा सी कल-कल
चंचल निर्मल हवा बसंती
जीवन क्षण-क्षण परिवर्तित
रात गई फिर बात गई
पर अपने जज़्बात गए

शाम ढले जब आम तले
अपनों के जज़्बात मिले
कुछ ख़ास कहे कुछ आम कहे
कुछ खट्टी-मीठी याद बनी
वर्षों के यूँ विरह-मिलन के
रंग में हम सब डूब के यूँ सरोबार हुए
चाहत अपनी लबो पे लेकर
हम सबने कुछ ख़ास किए

खट्टी-मीठी यादों में जब
हमने सबको याद किए
सहज-शांत से जीवन में
पलती चिंगारी का एहसास किया
उस आम तले हम आज मिले
इन आमों के मंजर ने
वर्षों तक मेरे राह तके
हमने भी उनको याद किया
साँसे अनजान सी आहट पर
हर बार उचक कर मुड़ता था

पर राहें सुनी मिलती थी
आँखों में आंसूं भरकर के
चुपचाप रहे
हम शांत रहे
पर आम तले जब आज मिले
सारे गिले शिकवे भूले
हम आज मिले जब आम तले.

सोमवार, 5 मार्च 2018

तुम बिन

तुम बिन हर चीज़ आधी है
हर ख़ुशी अधूरी सी
हर लम्हा उदास है
हर बात आधी सी

तुम बिन फूल भी काँटे नज़र आते है
अपने भी बेगाने सा सुलूक करते है
हर किसी की नज़रे घूरती है
जैसे हमने कोई बड़ा अपराध कर दिया है
सच्चाई भी बेबसी का चादर ओढ़ लेती है
अपनी साँसे भी खुद को डराने लगती है

तुम हो तो ज़िन्दगी रूहानी है
तुम हो तो मौसम सुहाना
तुम हो तो हर घड़ी हर दिन
वसंत का मौसम है

तुम हो तो लम्हा-लम्हा
जीवन खुशनुमा बन जाता है
तुम हो तो जीवन में रंग सारे है
तुमसे हँसी तुमसे ख़ुशी
तुम से ही ज़िन्दगी के धुप-छाँव सारे है.

रविवार, 4 मार्च 2018

एहसास

प्यार के एहसास से
मेरा दिल झूम उठा
जब मैंने अपने लिए
किसी को मुस्कुराते हुए देखा
अपने चेहरे के भावों को
मेरे से पहले पढ़ते हुए देखा

मैं सुनती थी
लोग एक दुसरे से
प्यार करते है
प्यार में जीते है
प्यार के लिए मरते है
प्यार अनमोल होता है
जिसने अपने प्यार को पा लिया
उसने जग पा लिया

पर मेरे लिए तो ये सब
एक कोरी कल्पना थी
किस्से और कहानियों में
सुनना बड़ा प्यारा लगता है
पर जीवन की कडवी सच्चाई के आगे 
प्यार की परिकल्पना भी 
जीवन की सबसे बड़ी जंग 
जीतने के बराबर है 

पर ये कल्पना वाकई में सच है 
प्यार तो हर रिश्ते में अनमोल है 
बस इसको दिल से महसूस करने की देर है.

शनिवार, 3 मार्च 2018

प्रेमराही

मेरी चाहत परवान चढ़े
मैं ऐसा कृत्य करूँ कैसे
फूलों सी माला बनकर के
मैं तेरे गले का हार बनूँ
तेरे सौंदर्य की आभा को
मैं कांति और प्रदान करूँ
जीवन अनमोल खज़ाना है
इसको तुम पर ही लुटाना है
तेरी पलकें थी नयन मेरे
जो देख सुकूं से भारती थी
जीवन तेरा
मैं उसकी हर साँस बनूँ
तू चाहत हैं
मैं प्यास बनूँ
तू है दरिया
मैं उसका एक किनारा हूँ
पानी की बहती धारा है तू
मैं प्यासा भृंग जनम भर का
तुम प्रेम की मृगमरीचिका
मैं रेतो का बना श्रृंखला
जून माह की दोपहरी में
मैं सूरज का ढाल बना
तुम बरसाती बादल बनकर
मेरा तेज मिटा डाला
तेरी साँसों में खुशबू बनकर
खुद को अमरत्व प्रदान किया
बनकर दोनों प्रेम के राही
कई को प्रेम सिखा डाला
जीवन को एक नई दिशा
अपनों को खुशियाँ बांटा है
प्रेम है पूजा, प्रेम है दर्पण
प्रेम ही जीवन सार
प्रेम बिना सब खाली-खाली
हम है राही तुम हो राही
प्रेम बाँटकर, प्रेम है पाना
प्रेम की भाषा सबको सिखाना
अपना जीवन मंत्र बनाना.

गुरुवार, 1 मार्च 2018

मेरे साथियों

काँप उठे दश दिशाएँ एक ही हुंकार से
चल पडों तो कोई अड़चन राह में आए नहीं
मंजिलों को दोस्त अपना तुम बनालो साथियों
डट पडों मैदान में, रण छोड़ बैरी भाग ले
मिट्टी में डालो दाने तो, सोना उगा दो साथियों
तोड़कर इस जाति भाषा धर्म की जंजीर को
मानवता को धर्म अपना तुम बना लो साथियों
ये जमीं है कर्म भूमि
जीवन तपोवन साथियों
हर दिशा हर राह में
खुशियाँ बिछा दो साथियों
सब रहे मिलजुल कर ऐसा
रुख बना दो साथियों
ये धरती हैं वीरों की
उनको जगा दो साथियों
ये नहीं किस्सा हमारा
है हक़ीकत साथियों
फिर से अपनी इस जमीं पर
अपने निर्मल प्रेम की
गंगा बहा दो साथियों
हर फिज़ा में खुशबू अपने देश की
फैला दो मेरे साथियों...