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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

गुरुवार, 7 जून 2018

श्रृंगार प्रकृति का

जतन जतन से
रमन चमन से
करते हम श्रृंगार प्रकृति का

नयन नयन से
नयन सपन से
करते हम श्रृंगार प्रकृति का

फूल पवन से
वर्षा के जल से
बादल के गर्जन-तर्जन से
करते हम श्रृंगार प्रकृति का

सूरज चंदा के आना से
दिन और रात के विरह मिलन से
करते हम श्रृंगार प्रकृति का.