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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

मंगलवार, 30 जून 2020

बेटियाँ

 
 
उजड़े हुए चमन बसाती है बेटियाँ 
जीवन का हर सार सिखाती है बेटियाँ 
मुरझाये चेहरों पर मुस्कान ले आती है बेटियाँ 
माँ -बाप  के दिलों में बस जाती है बेटियाँ
हर सुने आँखों में ख्वाब दे जाती है बेटियाँ 
बेटियाँ सृजन है श्रृंगार है प्रकृति की 
सरस्वती के बीणा की तार है बेटियाँ 
हर घर में गूंजती हुई संगीत है बेटियाँ 
हर घर में प्रेम की बरसात है बेटियाँ 
माँ - बाप के अरमानों की ताज है बेटियाँ 






सोमवार, 29 जून 2020

आम के मंजर

लगे पेड़ पर आम के मंजर 
पेड़ अभी से झूम रहे है 
आँखों में खुशिओं की आहट 
रहरहकर यों घूम रहे है
 छोटी - छोटी आम्बी को
कैसे चुनकर लाएंगे हम 
खट्टी-मीठी पकवानों से 
अपनी मेज सजायेंगे 

भरकर टोकड़ी आम की 
घर लेकर हम आएंगे 
मीठे - मीठे पके आम को 
चुनचुनकर हम खाएंगे 

कोयल की आवाज  गूंजती 
कानो में मिश्री रस घोले 
सुबह सबेरे सब उठ बैठे 
बच्चे - बूढ़े  और जवान 
आम - आम ये मीठे आम।   

शुक्रवार, 26 जून 2020

अंततः

आरंभ हुआ है तो अंत तय है 
सुबह हुई है तो शाम का आना भी तय है 
फूल खिलने के बाद उसका मुरझाना तय है 
फूल को खिलके डाल से उतर जाना तय है 
जैसे जन्म लिया है तो मरना भी तय है 

आया जो सावन तो पतझड़ भी तय है 
खनकती हुई हंसी के पीछे आंसू का संच हैं 
आज ख़ुशी है तो कल्ह रुदन भी तय है 

की है प्रगति की चाहत तो विनाश भी तय है 
हमने बनाई है खुशिओं से दूरियां 
तो हमारा सिसकना भी तय है 


हमने अपनी  धरोहर को छोड़ा है 
तो हमारा भटकना भी तय है 
अपनी सभय्ता को समझने में हमने भूल की है 
उस भूल का भुगतान तो करना ही होगा। 


गुरुवार, 25 जून 2020

मतलबी इंसान

मतलबी इंसान है ये 
कहते ये सबको है सुना 
मतलबों के जाल को 
बुनते हुए ही सब दिखे 

मतलबी इंसान को 
किसने  बनाया सोंचकर 
बरबस नयन भींगे मेरे 
जीते रहे सबके लिए 
सदा हुए खुश ख़ुशी में सबके 

खुद की मुश्किलों से लड़कर 
सब पैर मुस्कुराहटें बिखेरना 
कितना मुश्किल है 
ये हमने जाना है 
अपने दर्द को सबसे छिपाना 
हमने सीखा है मुश्किलों में भी मुस्कुराना 

सब अपनों से कुछ आशा रखते हैं 
हमने तो हरदम ताने ही पाए है 
हरबार ये सोंचकर कि 
शायद यह गलतफहमी है 
कल्ह का सूरज कुछ तो खुशियाँ लाएगा 

पर हमें ये कहाँ पता था  
हरबार ओला पिछली बार से ज्यादा ही पड़ेगा 
हम छलनी होते है तो हो जाएँ 
है फिक्र कहाँ किसी को
 हम रहे या मिट जाएँ। 

बुधवार, 24 जून 2020

राही

सपने मन बुनता है मन 
सपनों को जीना सिख लो 
राह अपनी खुद ही बनाओ 
राहों के कांटों को 
खुद से चुनना सीख लो
जिंदगी बदस्तूर जारी रहती है 
तुम गम को पीना सिख लो 
गम और ख़ुशी 
कभी अलग नहीं हो सकते 
खुशियां आज आई है तो 
गम की आहात को भी 
सुनना सीख लो 
 जैसे रात के बाद 
दिन का आना तै है 
वैसे ही मुश्किलों के बाद 
सपनों का दौर भी आएगा 
आज बेगानी - बेगानी सी 
लगती है ये  दुनिया 
 कल्ह अपनों का भी 
दौड़ आएगा। 

मंगलवार, 23 जून 2020

तेरी खातिर

जिसकी खातिर
तुमने खुद को खो दिया
क्या यह ख्याल आया कभी 
जिसके लिए तुम रोते  हो 
उसके मन में 
तुम्हारी अहमियत क्या है 

तुम्हारी  जिंदगी सिर्फ तुम्हारी है 
इसे जी भर कर जिओ 
यह तुम्हारे लिए 
उपरवाले का दिया 
अनमोल उपहार है 
हमेशा खुद के लिए जिओ 

जो खुद के लिए जीता है 
वह दुखी कभी नहीं होता 
क्यूंकि वह अपना कर्तब्य 
भली भांति जानता है 

जिसको हमारी क़द्र ही नहीं 
उसके लिए क्या गम 
उसके लिए हम अपना 
आंसू क्यों बर्बाद करे 

जो मेरा है ही नहीं  
उसके लिए रोना कैसा 
जिंदगी लम्बी है 
राह में बहुत से लोग मिलते है 
कुछ अपने तो कुछ 
बेगाने हो जाते हैं 
जिंदगी फिर भी चलती  रहती है

चलना हमारा फर्ज 
कर्म हमारी पूजा 
प्रेम हमारा धर्म है 
खुशियां हमारी शक्ति
और जीवन बहती हुई नदी 

जिसे रोकना हमारा काम नहीं 
हमें तो बस खुशियां  बाँटना है। 

सोमवार, 22 जून 2020

गिरना - संभलना

गिरना भी अच्छा 
गिरकर सम्भलना भी अच्छा 
संभलकर चलना है सीखा 
मुसीबतों के दौर में ही 
अपनों की पहचान होती है 
जब वक़्त आता है बुड़ा 
तभी अपनों और परायों में 
फर्क समझ आता है 
गिरकर ही सीखते है हम 
सम्भलकर -सम्भलकर चलना 
जिंदगी हर कदम 
एक नया सबक दे जाती है
 कब कौन कहाँ किसको 
मंजिल मिल जाती है 
थककर न कभी रूकना 
चलना है निरंतर चलना 
गम और ख़ुशी की 
हर दौर से है गुजरना 
जिंदगी की जंग को 
हर हाल में है जीतना। 

गुरुवार, 18 जून 2020

साथी

 
तू मेरा प्रियतम मैं तेरी प्रेयसि 
तू मेरा जीवन मै तेरी नियति
तुम गंगा की लहरे मै हूँ धारा 
तुम बहना कलकल मैं उसकी शीतलता 
तुम जीवन के वृक्ष मै तेरी छाया 
तुम पत्तों की हरियाली  
मैं फूलो की कोमलता 
तुम हो जलता दीपक 
और मैं हूँ उसकी बाती
है प्रेम हमारा हरदम
हर दिन और रात की भांति 
जीवन भर साथ चलेंगे 
हम दोनों मिलकर साथी।

मैं रो नहीं सकता

मेरी आँखों में आंसू  है, मगर मैं रो नहीं सकता 
गमो के लाख सागर हो , मगर मैं खो नहीं सकता 
है दिल में आरजू जितनी , सभी जीना जरूरी है 
सभी जख्मों को उन , मधुर सपनो से सींचेंगे 

मेरी आँखों में आंसू  है, मगर मैं रो नहीं सकता 
हँसी लोगों को आती है , हमारे मुश्किलों पर 
कहाँ उनको पता हमने , सबक इनसे ही सीखा है 
कभी हम भी अनाड़ी थे , मगर अब तो खिलाड़ी है 

मेरी आँखों में  आंसू  है, मगर मैं रो नहीं सकता 
जुबां खामोश है पर दिल में , तूफानों सी बारिश है 
आंसू और गम है साथ -साथ , राहों में कांटें है हजार 
पर मंजिल को पाने की , है मुझमे हिम्मत अपार 

मेरी आँखों में  आंसू  है, मगर मैं रो नहीं सकता 
जिया तूफ़ान में हरदम , अभी यूँ मर नहीं सकता 
चलना हमारा काम है , मैं रूक नहीं सकता 
मेरी आँखों में  आंसू  है, मगर मैं रो नहीं सकता।  

बुधवार, 17 जून 2020

आत्म निर्भर भारत

है सपना अपना आत्मनिर्भर भारत का 
हमने हमेशा मुश्किलों में जीतना सीखा 
हमने मिलकर जब कोई राह निकली है
मुश्किल भी हमसे हिम्मत हारी है 
एकता ही बल हमारा कृषक ही संबल  हमारा

है सपना अपना आत्मनिर्भर भारत का  
जब सामने नायक खड़ा हो हिम्मत सबमे आता है 
मुश्किलों के दौड़ में हर कोई कुछ है सोंचता है 
थोड़ा - थोड़ा सोंचलो मुश्किलों को लाँघ लेंगे 

है सपना अपना आत्मनिर्भर भारत का 
आत्मनिर्भर भारत का सपना हम साकार करेंगे
 सपने को पूरा करने को हर मुश्किल को पार करेंगे 
छोड़ो मझधार की बाते अब तो खुद को 
इस पार या उस पार करेंगे 

है सपना अपना आत्मनिर्भर भारत का 
हर किल्लत को सह लेंगे आंशुओं को भी पी लेंगे 
आज जो मुसीबत आई है 
इससे भी देश का बेडा पार करेंगे 

है सपना अपना आत्मनिर्भर भारत का 
आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे 
माँ भारती पर जो भी नजर उठाएगा 
उसका भी संहार करेंगे
 हमने खाई है कसम
 आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे।  


मंगलवार, 16 जून 2020

कड़वा सच

डर को निकाल दो अपने दिल से 
हो जायेगा सबकुछ मुमकिन 
बांध लो हाथों से हाथ 
जोड़ लो मनके तारो से तार 
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा 
झोंक दो अपनी ताकत 
मरुस्थल से भी जल निकलेगा 
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की 
जो है आज थमा - थमा सा चल निकलेगा
रास्तों पर जम गई है धूल 
बारिशों से ये बह निकलेगा 
रिश्तों में आज जो आई है दरार 
छंटते ही गम के बादल 
फिर से खुशियों की गाड़ी चल निकलेगी 
गावं से शहर की दूरिओं को 
विकास से पाट दो 
किसानो के इस देश में 
किसानी को सम्मान दो 
फिर तो विकास की धारा 
यहीं से बह निकलेगी  

सोमवार, 15 जून 2020

बदलता दौर

इस बदलते दौर में 
हर कोई खोया - खोया  सा है 
खुशियां कहीं गुम  सि हुई 
है चैन की आहट नहीं 
बेचैन दिल से पूछ लो 
सरसराहट भी हवा की
 खौफ मन में भर रही

इस बदलते दौर में 
जीवन विकटता से भरा 
हर पल गुजरते दिन के संग 
एक नई उलझन आ रही 
हर रोज एक नया सबक 
हमको है ये  सिखला रही 

इस बदलते दौर में 
कुछ कर गुजरने की इच्छा 
है वलवती कुछ हो रही 
है डगर कठिन मगर 
दामन पकड़ उम्मीद का 
हम चल पड़े है  उस  डगर

इस बदलते दौर में 
सब कुछ नया सबकुछ अलग 
रिश्तों ने भी छू लिए 
जैसे नए आयाम है 
आँखों में छाई धुंध भी 
अब साफ होती दिख रही 

इस बदलते दौर में 
जो सो गया वो सो गया 
पर  जग कर जिसने चला 
वो चल दिया उस राह पर 
जिससे न अब है लौटना 
मुश्किल अगर आये भी तो 
उससे है लड़कर जीतना 

इस बदलते दौर में 
सब कुछ नया सबकुछ अलग।  


 

मंगलवार, 9 जून 2020

ये कैसी बेचारगी

 अब वक़्त आ गया है यह सोंचने का कि आखिर मजदुर कबतक अपने आपको बेचारा बनाकर रखेगा और किसी भी बिषम परिस्थिति  में मतलब परास्त लोग उसका फायदा उठाते रहेंगे। यह काम किसी सिस्टम का नहीं बल्कि इसके लिए मजदुर को अपनी जमीर खुद ही जगानी पड़ेगी।  उन्हें अपने वर्तमान और भविस्य दोनों सवांरने के लिए एक बेहतर प्लानिंग तैयार करनी पड़ेगी।  अपनी सोंच को बदलना होगा मजदूर चाहे देश के किसी भी हिस्से में हो।  कुछ ही बस्तियों तक अपने आपको  सिमित रखते हैं और उससे बाहर की  दुनिया में क्या चल  रहा है।  इस बात से उन्हें कोई मतलब नहीं होता है।  
समय - समय पर कुछ समाजसेवी  या वित्त से जुड़े लोग उन्हें कुछ समझाने  के लिए उनकी बस्ती तक आते भी है तो वो उनका मजाक ही उड़ाते है यहि  वजह है कि समय-समय पर चालाक प्रवृति के लोग  किसी न किसी प्रकार उन्हें लुटते रहते हैं। 
 देश को आर्थिक गति देने में बहुत बड़े योगदान के वावजूद उनके होने या न होने का सही डाटा हमारी सरकार के पास  भी उपलब्ध नहीं हैं।  जब-जब सरकार ने उनका डाटा इकट्ठा कर उन्हें  मुख्यधारा में  लाने का प्रयास करती है तो उनके बिच बैठे कुछ चालाक लोग उन्हें भड़काकर देश का माहौल ख़राब करने से भी बाज नहीं आते हैं। 
आज जब देश में इतनी बड़ी त्रासदी आई है , इस समय भी सरकार के सामने  सबसे बड़ी चुनौती यहि है कि आखिर कैसे एक-एक मजदूर तक मदद पंहुचाई जाय।  
देश को आजाद हुए ७२ साल बीत चुके है , जो काम आजादी के बाद ही होना चाहिए था , सरकार की अदूरदर्शिता की वजह से ठंढे बास्ते में पड़ी रही।  
अब जब नई सरकार उन कमियों  को दूरकर नई व्यवस्था लागु करना चाहती  है तो कुछ तथाकथित देश सेवको को ये बात पच  नहीं रही है और ये तथाकथित लोग इस मुश्किल के वक़्त भी सरकार को सहयोग करने के वावजूद हर काम में उनका टांग खींचने का काम कर रहे है। 
अब वक़्त आ गया जब मजदूर अपनी ताकत का एहसास स्वयं करे और अपने-अपने इलाके को जो वर्षों से वीरान पड़ा है और वहां की कृषि योग्य भूमी आज बंजर पड़ी है उसे आबाद करने का वक़्त आ गया है।  किसान अपने मेहनत के बल पर देश के हर कोने में हरित क्रांति का आगाज कर सकता है।  
मुझे पूरा विस्वास है कि हमसब मिलकर सही दिशा में अपना कदम बढ़ाएं और अपनी मेहनत पर भरोसा रखे तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश फिर से सोने की चिड़िया कहलाये। लेकिन लक्ष्य इतना बड़ा नहीं है जितना कि हमारी सोई हुई इच्छा शक्ति को जगाना।  क्योंकि वर्षो की उपेक्षा और अपने आलस्य के कारण हमें अपने ताकत की पहचान पर ही शक होने लगा है।  हम जितना मंथन मुफ्त में मिलने वाली सुविधाओं पर करते है उसका आधा मेहनत भी अपनी प्रगति के लिए सार्थक प्रयास में लगाएं तो हमें विकास के पथ पर हमारे कदम को कोई रोक नहीं सकता।  

आज के माहौल में ये पपंक्तियाँ बड़ी सार्थक लगती है :-

मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठा  लीजिये।   

तोड़कर बंधन सभी संकोच के चले। 

कण -कण में बसते राम के पदचिन्ह पर चले।  

है कल्पना नहीं , सच्चाई राम राज की। 

बुधवार, 3 जून 2020

साई कृपा

महिमा अपरमपार है साई
जीवन के आधार है साई
हर दिल की धरकन में बसते
जीवन के कण-कण में बसते
लघू अनन्त और दिगदिगंत में
करूण-क्रन्द और प्रेम-विरह में
धरती-वायु और गगन में।


 महिमा अपरमपार है साई
जीवन के आधार है साई
हर मुस्किल में राह दिखाते
नैया अपनी पार लगातें
जीने का जीवट दे जातें।

महिमा अपरमपार है साई
जीवन के आधार है साई
शब्द नहीं है प्रेम की वाणी
प्रेम नयण से झांक रहे है
प्रेम के तार बंधे साई से
ममतामय संसार हुआ है

महिमा अपरमपार है साई
जीवन के आधार है साई
आप हमारे दिल में बसते
दिल से दिल के तार मिले है
जीवन के आधार मिले है
घोर निराशा की आंधी में
जीवन के संचार मिले हैं।

महिमा अपरमपार है साई
जीवन के आधार है साई
हर दिल की धरकन में बसते
इस जग के आधार तुम्ही हो।।