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सोमवार, 15 जून 2020

बदलता दौर

इस बदलते दौर में 
हर कोई खोया - खोया  सा है 
खुशियां कहीं गुम  सि हुई 
है चैन की आहट नहीं 
बेचैन दिल से पूछ लो 
सरसराहट भी हवा की
 खौफ मन में भर रही

इस बदलते दौर में 
जीवन विकटता से भरा 
हर पल गुजरते दिन के संग 
एक नई उलझन आ रही 
हर रोज एक नया सबक 
हमको है ये  सिखला रही 

इस बदलते दौर में 
कुछ कर गुजरने की इच्छा 
है वलवती कुछ हो रही 
है डगर कठिन मगर 
दामन पकड़ उम्मीद का 
हम चल पड़े है  उस  डगर

इस बदलते दौर में 
सब कुछ नया सबकुछ अलग 
रिश्तों ने भी छू लिए 
जैसे नए आयाम है 
आँखों में छाई धुंध भी 
अब साफ होती दिख रही 

इस बदलते दौर में 
जो सो गया वो सो गया 
पर  जग कर जिसने चला 
वो चल दिया उस राह पर 
जिससे न अब है लौटना 
मुश्किल अगर आये भी तो 
उससे है लड़कर जीतना 

इस बदलते दौर में 
सब कुछ नया सबकुछ अलग।  


 

6 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत - बहुत आभार

      हटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



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