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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

बुधवार, 24 जून 2020

राही

सपने मन बुनता है मन 
सपनों को जीना सिख लो 
राह अपनी खुद ही बनाओ 
राहों के कांटों को 
खुद से चुनना सीख लो
जिंदगी बदस्तूर जारी रहती है 
तुम गम को पीना सिख लो 
गम और ख़ुशी 
कभी अलग नहीं हो सकते 
खुशियां आज आई है तो 
गम की आहात को भी 
सुनना सीख लो 
 जैसे रात के बाद 
दिन का आना तै है 
वैसे ही मुश्किलों के बाद 
सपनों का दौर भी आएगा 
आज बेगानी - बेगानी सी 
लगती है ये  दुनिया 
 कल्ह अपनों का भी 
दौड़ आएगा। 

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