सपनों को जीना सिख लो
राह अपनी खुद ही बनाओ
राहों के कांटों को
खुद से चुनना सीख लो
जिंदगी बदस्तूर जारी रहती है
तुम गम को पीना सिख लो
गम और ख़ुशी
कभी अलग नहीं हो सकते
खुशियां आज आई है तो
गम की आहात को भी
सुनना सीख लो
जैसे रात के बाद
दिन का आना तै है
वैसे ही मुश्किलों के बाद
सपनों का दौर भी आएगा
आज बेगानी - बेगानी सी
लगती है ये दुनिया
कल्ह अपनों का भी
दौड़ आएगा।
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