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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 11 जनवरी 2020

गीले शिकवे

देश अपना है लोग अपने है
फिर क्यों गिला है आपको
देश तरक्की कर रहा है
विकास के नीत नयी
सीढ़ियां चढ़ रहा है
आज तक हम कागज़ों में उलझे थे
आम आदमी को हर जगह
कागज़ों की ही उलझन होती है
आम आदमी हर समय
कागज़ों के नाम पर ही लुटता हैं

देश अपना है लोग अपने है
फिर क्यों गिला है आपको
हम डिजिटल युग में कदम बढ़ा रहे है
हमें भी अपनी अलग पहचान बनानी है
नीत नए मिलने वाले ठेकेदारों को
अपनी पहचान बनानी है

देश अपना है लोग अपने है
फिर क्यों गिला है आपको
देश की खुशियों से क्या बैर है आपको
अमन और चैन को यू ना जलाइए
किसी मासूम को इतना मत तड़पाइए
देश आगे बढ़ रहा है
आप भी खुशियां मनाइये।

बुधवार, 8 जनवरी 2020

सियासी खेल

सी.ए.ए. के नाम पर
सेक रहे सब रोटियां
आमजन को डरा-डरा कर
मतलब अपना साधना
सदियों से इस देश में
खेल है सब चल रहा

कभी किसानो को डरा कर
दंगल करवाते है उनसे
तोह कभी मासूम बच्चों को
अपना हतियार बनाते है

इनको नहीं परवाह मेरी
ये सियासतदान है बस
इनकी सियासी रोटियां
रंगी हमारे खून से 
देश की स्थिरता से
इनका नहीं कोई वास्ता

जिन गरीबों की वकालत
करते नहीं ये थक रहे है
उनको गरीबी का सितम
उपहार में इनसे मिला है

आजादी के 70 साल
काट लिए हम बेगानो से
हम भारत के वासी है
ये तय करना अभी भी बाकी है

हमने जब झकझोर के इनको
सत्ता से बाहर पहुंचाया
एक-एक कर इनकी गलती
बरबस इनको याद दिलाया
फिर भी  इनकी हिम्मत देखो
रोज़ नए पैतरों के संग
आ जाते हम सब के बीच

अफवाहों की चिंगारी से
देश जलाना चाह रहे है
देश गरीबों का हैं भारत
ये बतलाना चाह रहे हैं
वो भूल गए है यह धरती
देवों की धरती कहलाती है
इसका अस्तित्व मिटाने वालों का
वो हश्र देखना भूल गए है
मुट्ठी भर लोगों को भटकाकर
वो देश चलाना चाह रहे है

ये देश निरंतर बदलावों को
झेल-झेल कर
कितने फिरंगियों के खूनो से
खेल-खेल कर
अपनी तक़दीर बनता आया है
अपनी तहजीब बचाता आया है।