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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

गुरुवार, 28 जनवरी 2021

रिक्शे वाला

रिक्शे वाला मौन साधकर
चुप बैठा रिक्शे पर अपने


मोटरगाड़ी दौड़ रही है 
चें - चें  पों - पों  मची हुई है 

कोई पैदल भाग रहा है 
तो कोई गाड़ी के पीछे 

सबको जल्दी मची हुई है
भगदड़ में सब शामिल हैं 

इनके साथ चलाऊँ अपना 
रिक्शा कैसे मैं जल्दी 

न तो इतनी ताकत मुझमे 
ना रिक्शा में मोटर है 

अपना रिक्शा सदा प्यार से 
सबको मंजिल तक पहुंचाए 

पर आज नहीं है चैन किसी को 
ना जीने की फुर्सत है 

भाग रहे सब धुन में अपने 
कोई किसी की सुध नहीं लेता 

चारों ओर मचि  भगदड़ पर 
मन का कोना - कोना सूना। 

बुधवार, 27 जनवरी 2021

मैं

रात की  काली घटा ने
घेरकर मेरी छंटा को

धुंध सा धुंधला किया 
सब तेज उसमे खो गया 

मैं निरंतर बादलों में 
घिरकर खोया सा रहा 

मैं कभी रोया नहीं 
मैं कभी सोया नहीं 

हर कदम हमने बढाई 
रौशनी कि ओर ही 

मेहनत से डरकर कभी भी 
कर्म पथ छोड़ा नहीं 

जाऊ जिस भी राह मैं 
हर राह पर रोड़ा मिला 

हर कोई मुझको आजमाता 
हर दिन नए संघर्ष से नाता हमारा 

वक़्त भी लेती परीक्षा सब्र का 
है कठिन ये वक़्त 
मेरे इम्तिहान का...
 


सोमवार, 25 जनवरी 2021

रास्ते

है रास्ते अपनी जगह सब
पर राही नए - नए हैं रोज

मंजिल सबकी अलग - अलग 
पर राह चले सब एक 

पाना मंजिल सबको अपना 
जीवन का सपना है सबका 

खोना - पाना मिलना - बिछड़ना 
जीवन का है ताना - बाना 

राहें संकरी कठिन मोड़ है 
चलना संभल - संभल कर पड़ता 

गहरी खाई मोड़-मोड़ पर 
सब्र टूटने का मम हर दम 

सुनी सड़के खौफ जदा सब 
मौन तोडती पेड़ की आहट 

रात घनी है अंधकार मय 
धुध की चादर बनकर कोहरा 
फैला नभ-तल दोनों पर। 

शनिवार, 23 जनवरी 2021

बिल्ली मौसी

चुहिया बोली बिल्ली मौसी
क्यों तुम मुझको रोज डराती

तुम हो सबकी प्यारी मौसी 
फिर क्यों मुझको आँख दिखाती 

बन जाओ मेरी मौसी भी 
दोनों मिलकर मज़े करेंगे 

बैठ रसोई में हम दोनों 
दूध  मिठाई  फल को चखेंगे 

हम दोनों की जोड़ी मिलकर 
रोज नए कुछ काम करेंगे।  

गुरुवार, 21 जनवरी 2021

मेट्रो की सवारी

मेरे शहर में आ गई
मेट्रो की सवारी

बस का धक्का - मुक्का छूटा 
छूटा पीछा सड़क की जाम से 

मेट्रो से हम झटपट पहुंचे 
शहर का कोना - कोना घुमा 

झटपट आती झटपट जाती 
झटपट सबको घर पहुंचाती 

सबका टाइम बचाती  मेट्रो 
साफ - सफाई भी सिखलाती 

वक़्त पे आना वक़्त पे जाना 
वक़्त का मोल सिखाती मेट्रो 

बच्चों के मन को भाती  मेट्रो
शहर का सैर कराती मेट्रो।   
 

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

यात्रा

ज्ञान से विज्ञानं की ओर
पूरब से पश्चिम की ओर
जीवन से वैभव की ओर 
प्रेम से विरह की ओर 
अपनत्व से अलगाव की ओर
 शान्ति से क्रान्ति की ओर 
चाहत से वैमनस्य की ओर 
दुःख से सुख की ओर 
बचपन से बुढ़ापा की ओर 
जीवन से मृत्यु की ओर 
आत्मा से परमात्मा की ओर 
अनवरत चलने वाली यह यात्रा 
न तो रूकती है और न थकती है।   

शनिवार, 9 जनवरी 2021

टमाटर

लाल टमाटर गोल - मटोल
सब सब्जी में इसका मोल
फलता यह भूमि पर लोट 
छोटे - छोटे पौधों में 
फलता  है यह ढ़ेर के ढ़ेर 

लाल टमाटर गोल - मटोल
सब सब्ज़ी का है यह प्यारा 
सब सब्ज़ी का मान बढ़ाता 
स्वाद सभी के मन को भाता

लाल टमाटर गोल - मटोल 
कभी सलाद तो कभी ब्रेड पर 
हर थाली पर सज कर आता 
सॉस - अँचार के रूप में आता 
खाने के हर डिश पर छाता।  

   


बुधवार, 6 जनवरी 2021

बच्चों का जीवन

बच्चे मन के होते सच्चे
सबके मन को वो भाते हैं
सबके चेहरे पर खुशियों के 
नए रंग वो दे जाते हैं  

बच्चे खाते  चाट - मिठाई 
या फिर खाते नानकताई
सुबह - सबेरे  खिटपिट करते 
होते हरदम गुत्थम- गुत्था

बात - बात पर उनकी ठनती 
फिरब भी सब हैं मिलकर रहते 
खेल - खिलौना हंसना - रोना 
दिनचर्या बस इतनी उनकी

ना कोइ गम ना कोई सितम है 
ना कोई चिंता कोइ ना  फिकर है 
जीवन का अनमोल ये पल है।   

  
 



शनिवार, 2 जनवरी 2021

मन का सूरज

मन का सूरज कभी बूझने न देना
गम लाख परेशान  करे तो क्या
अँधेरे से अपने घर की चाँदनी 
को कभी ढकने न देना 

मन के सूरज को हमेशा चमका पाओगे 
गर अपने हिम्मत में मेहनत की छौंक लगाओगे 
दिन आया है तो रात तो आएगी ही 
उजाला अपने साथ - साथ 
कुछ अँधेरा तो लाएगी ही

मन के  सूरज कभी बूझने न देना
ये तन मिला है बड़ी सिद्दतों  के बाद 
करने हैं भूत काम अभी बांकी 
गढ़ने हैं मुकाम अभी काफी 

मन के सूरज कभी बूझने न देना
हर मोड़ पर मुश्किलों से सामना होता है 
पर मुश्किल के बाद हौसला अपना मजबूत होता है।