सबके मन को वो भाते हैं
सबके चेहरे पर खुशियों के
नए रंग वो दे जाते हैं
बच्चे खाते चाट - मिठाई
या फिर खाते नानकताई
सुबह - सबेरे खिटपिट करते
होते हरदम गुत्थम- गुत्था
बात - बात पर उनकी ठनती
फिरब भी सब हैं मिलकर रहते
खेल - खिलौना हंसना - रोना
दिनचर्या बस इतनी उनकी
ना कोइ गम ना कोई सितम है
ना कोई चिंता कोइ ना फिकर है
जीवन का अनमोल ये पल है।
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