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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

रविवार, 29 मार्च 2020

संकल्प

कोरोना का कहर
सारे विश्व पर ऐसा पड़ा
मानवता है काँप रही
जीवन हर पल भांप रही
अनहोनी अनजाने डर से
हर कोई सहमा बैठा है

जीवन की इस कठिन घड़ी में
देव दूत बनकर आया है
हर पल हर क्षण भाग रहा है
सबको खुशियां बाँट रहा है

फिर भी क्यों तुम भाग रहे हो
डरे-डरे सहमे-सहमे से
मैं मैदान में डटा हुआ हूँ
कोरोना को डरना ही होगा
पहले मुझसे लड़ना होगा

तुमतो घर पर बैठे हो
कुछ अपनों के संग
खड़े यहाँ विपदा में हम
अपनों से है दूर
है परिवार हमारा भी
पर पुरे दिन बात नहीं
कोई नहीं सन्देश

फिर भी हमने ठान लिया है
अपनेपन को जान लिया है
जीत हमारी पक्की होगी
ऐसा एक संकल्प लिया है

ऐसे दुश्मन से जूझ रहे है
अंत का जिसका भान नहीं है
लड़कर कितना जीतेंगे हम
इसक हमें कोई ज्ञान नहीं
फिर भी हमें डट कर लड़ना है
कोरोना को परास्त करना है

हम सबका है वादा देश से
विजय विजय विजय
बस यही नारा हम सबका
हारेगा कोरोना हम सब से
जीतेगा विश्वास हमारा। 

शनिवार, 28 मार्च 2020

साईं

मथुरा-काशी है ब्रिजवाशी
साईं हमारे वृन्दावासी
धन्य हैं पुट्टपर्थी वासी

सोये नैना जाग गए है
दृश्य बिहंगम देख रहे है
खुद को जग में जीत रहे है

साईं साईं गीत हमारे
साईं जग में मीत हमारे
बैर को प्रेम से जीत रहे है
सोये नैना जाग गए है
दृश्य बिहंगम देख रहे है

मथुरा-काशी है ब्रिजवाशी
साईं हमारे वृन्दावासी
साईं ने सबको प्रेम सिखाया
सबको प्रेम का पाठ पढाया
जीवन को अनमोल बनाया

साईं ने मन में ज्योत जलाया
प्रेम गीत का बोल सिखाया
मधुर-मधुर मुस्कान से अपने
जग को जीत का मंत्र पढाया
मथुरा-काशी है ब्रिजवाशी
साईं हमारे वृन्दावासी। 

गुरुवार, 26 मार्च 2020

कसौटी

अर्पण समर्पण ये मेरा है दर्पण
ना क्षण में भंगुर, ना क्षण में भिहंगम
कदम धीरे-धीरे चले लक्ष्य के पथ
सहम कर ठिठक कर थोडा-सा रुक कर 
सभी के नज़रिए पर खुद को खड़ा कर
भींगे नयन और होठों पे मुस्कान
दिल में लिए दर्द के दासता को

अर्पण समर्पण ये मेरा है दर्पण
सभी को सभी से मिलाने की जिद में
चेहरे पे सब के हँसी तैर जाये
गमे दिल में हम तो छुपाते रहेंगे
मगर क्या पता था
सभी मिलकर खंजर चुभाने लगेंगे
अपराध खुदका मिटाने की खातिर
हम आग के यूँ हवाले करेंगे

अर्पण समर्पण ये मेरा है दर्पण
होते रिश्ते खड़े प्रेम की नीव पर
सीचते है सदा उसको विश्वास से
तोडना है तो क्या तोड़ डालो इसे
जोड़ने में तो वर्षों लगे थे हमें
बाग़ सुनी हुई पेड़ मुरझाए सब
इल्म जिसका तुझे हो न पाया कभी

अर्पण समर्पण ये मेरा है दर्पण
आँधियों में अकेले खड़े अब रहो
कांटे बोये थे तुमने फल कहाँ पाओगे
अपनों को अपनों से यूं करके जुदा
चैन किसको मिले जो अब तुम पाओगे

अर्पण समर्पण ये मेरा है दर्पण
काटें बोने से मिलते है कांटे सदा
प्रेम जो बोएगा प्रेम वो पायेगा
प्रेम में कोई अपना पराया नहीं
प्रेम का दायरा सारा संसार है
नफरतों का नहीं कोई स्थान है
प्रेम जीता है हरदम आगे जीतेगा भी। 

शनिवार, 21 मार्च 2020

छोटी सी ज़िन्दगी

छोटी सी है ज़िन्दगी
पल दो पल है ख़ास
मीठी-मीठी यादों में बस जाता संसार
गिले-शिकवे कडवी यादें
ज़हर घोलती है जीवन में

छोटी सी है ज़िन्दगी
प्रेम भाव सब टूट रहा है
पल-पल सब कुछ छुट रहा है
जीवन जग में घुट रहा है
मानव मन कुछ टूट रहा है

छोटी सी है ज़िन्दगी
राग-द्वेष में गुत्थम-गुत्था
आम भावना लुटता पिटता 
प्रेम भावना पीछे छुटा 

छोटी सी है ज़िन्दगी
अहम् प्रेम पर भारी पड़ता 
दुर्गति सच की आम हुई है 
प्रेम आज बदनाम हुई है 
चालाकी सिर ताज सजा है 
धूर्त प्रकांड विद्वान बने है 

छोटी सी है ज़िन्दगी
आज रूपया सिर चढ़ बोले 
लक्ष्मी भी आवाक खड़ी है 
कैसा ये संसार बना है 

छोटी सी है ज़िन्दगी
क्रूर भावना, झूठ बोलना 
घर-घर में ये काम हुआ है 
अपना-अपना बस सब अपना 
बाकी बचा न कोई सपना। 

शनिवार, 14 मार्च 2020

आवो हवा

गफलत हवा में मत उड़ाइए
महौल को और भी बोझिल मत बनाइये
बड़ी मुश्किल से मिलती है खुशियाँ
कम से कम इसका मज़ाक मत उड़ाइए

गफलत हवा में मत उड़ाइए
भ्रम फैलाकर लोगों को गुमराह करना
रिश्तों के बीच नफरत के बीज बोना
अपनों को अपनो से दूर करना
ऐसा गुनाह करने में
क्या मज़ा आता है आपको?

गफलत हवा में मत उड़ाइए
ज़िन्दगी खुशियाँ बांटने के लिए मिली है
ज़िन्दगी अनमोल है
इसे जाया न कीजिये

गफलत हवा में मत उड़ाइए
किसी के दुःख बांटने का
रोते हुए चेहरे पर खुशियाँ भिखेरना का
फिर कोई सुनहरा मौका मिले न मिले
जो मिला है उसे
अब और जाया न कीजिये

गफलत हवा में मत उड़ाइए
आप अपनी कामयाबी पर
इतना न मुस्कुराइए
क्या पता है आपको
आप जिसे अपनी कामयाबी समझते है
वो आपकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सबक न बन जाए।