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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 28 सितंबर 2019

मेरे प्रभु

सबने ठुकराया जिसको
रब ने अपनाया उसको
हर राह दिखाया उसको
हर मोड़ पर उसने रब को
अपने अन्दर ही पाया
जब ठोकर खाकर जिस दिन
वो गिरने ही वाला था
हर बार बचाया रब ने
आँसू भी पोछे उसने
जीवन की हर उलझन से
हर बार निकाला रब ने
है कोई शक्ति ऐसी
जो साथ खड़ी है मेरे
जब डूबने को मैं आता
वो हाथ बढ़ाये झटसे
मन को बहलाया ऐसे
जैसे माँ बहलाती हैं
माँ प्यार से समझाती है
अच्छी-अच्छी बातो से
जैसे माँ फुसलाती है
ये रात भी कट जाएगी
तेरे भाग्य का सोया सूरज
एक दिन चमकेगा नभ पे.

रविवार, 22 सितंबर 2019

मातृभूमि

कण-कण में भारत बसता हैं
हर मन में भारत बसता है
भारत माता की शान यही
हर दिल में भारत बसता है

कण-कण में भारत बसता हैं
है भारत की पहचान यही
हर घर में भारत बसता है
है हरित-क्रांति का देश मेरा
पग-पग में खुशियाँ मिलती है

कण-कण में भारत बसता हैं
हैं नोक-झोक, है हँसी-ठिठोली
जब देश की बात है आती
हम हो जाते सब एक

कण-कण में भारत बसता हैं
सर मेरा झुके नहीं
हाथ पहले कभी उठे नहीं
पर हमको आँख दिखने वाले
सलामत नहीं बच पाओगे
पलट के जाने के लिए.

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

संवाद (माँ-बेटे की)

दिल में जो वेदना थी
हमने सुनाया माँ को
माँ तैस में आ जाती
कहती हैं खोट तुझमें
हैं तू गलत तो सबने
तुझको गलत बताया
तू चाँद तोड़कर भी
कदमो में मेरे लाया
फिर भी न तुझको मैं तो
सच्चा कहूं कभी भी
क्योंकि हमेशा तुमने
मेरा है दिल दुखाया
मैं चाहती थी पोता
तुमने है पोती लाया
मेरे भावना थी दिल में
उसमें है चोट आया
कैसे कहूं मैं तुझको
तू लाडला हैं मेरा
पहले तू था हमारा
अब हो गया किसी का
जब तू हुआ बेगाना
हम को मिला बहाना
हमने भी कर लिया है
तुझसे ही अब किनारा
अब दूर-दूर होगा
तेरा-मेरा ठिकाना
हमने न तुमको जाना
तुमने न हमको जाना
अब और नहीं करना
हमको कोई बहाना।

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

हम और तुम

डगर पे निगाहें टिकाए रखेंगे
अभी हौसला हैं लुटाते रहेंगे
तुम्हे जंग जब प्रेम से हो गयी है 
पर हम प्रेम सब पर लुटाते रहेंगे
तुम्हे तोड़ना है तो तोड़ो
मगर प्रेम से मैं जुटाती रहूंगी
तेरी साजिशों को बेपर्दा करुँगी
तुम्हे जानेमन सबसे रुसवा करुँगी
न सोचो कि कमज़ोर हम पर गए है
हमें वक्त पर अपना मौका मिलेगा
तुम्हे दर्द का और तौहफा मिलेगा
कहाँ फूल शबनम सितारा मिलेगा
गम आसुओं का सहारा मिलेगा
किसी के भी दिल का जो सौदा करोगे
सुकूं से कभी जी न पाओगे तुम भी
हमें लांघना है ख़ुशी का समंदर
परे तुम रहो दरिया गम के किनारे
जहां हम रहे फूल खुशियों के खिलते
तुम तो आसुओं का पिटारा बनोगे.

बुधवार, 18 सितंबर 2019

चंद्रयान - 2

चुन्नू बोला पापा से तुम चंद्रयान ले आना
पापा बोले बेटा तूने ये क्या माँगा मुझसे
मैं तो हूँ एक आम आदमी यान कहा से लाऊंगा
पापा कितने बुद्धू हो तुम
चंद्रयान - 2 हमने भेजा मामा ने उसको है पकड़ा
वही यान तो मैं कहता हूँ आपको लाने को
पापा मामा से कहना वह यान हमें लौटा दे
फिर मैं उसको ठीक करा कर मामा के घर जाऊंगा
वही बैठ कर इसरो को मैं साड़ी न्यूज़ बताऊंगा
इसरो में सब साथी बैठे राह ताकते होंगे
मामा अब तो जल्दी कर लो मान-मनौवल मत करवाओ
साल ग्यारह हमने झोके चंद्रयान पहुंचाने में
पर तुमने मेरी मेहनत को क्यों झटका दे डाला
मैं तो अपने मामा के घर ख़ुशी-ख़ुशी आया था
तेरी खोई दुनिया को जगमग करने आया था
तुमने मेरा राह रोक कर मुझे निराश किया है
तुम कैसे चंदा मामा हो मुंह फुलाए बैठे
तुम तो बस इस चंद्रयान को थोड़ी ताकत दे दो
फिर तुम देखो ख़ुशी-ख़ुशी मैं क्या कमाल करता हूँ
फिर हम दोनों मिल करके इतिहास नया लिखेंगे.

सोमवार, 16 सितंबर 2019

हिंदी

मैं हिंदी हूँ
भारत माँ के माथे की बिंदी हूँ
हर्ष और उल्लास की अभिव्यक्ति हूँ
मैं सरल सुन्दर और प्रेम की भाषा हूँ
मैं विश्व में दुसरे नंबर की भाषा हूँ
मेरे छने वाले की लम्बी कतार है
मैं अपनी बात आसानी से दुसरो तक पहुँचाहती हूँ
सबके दिलों में बड़ी जल्दी मैं बस जाती हूँ
पर अपने ही देश में
सब मेरे पर टंटा करते है
कहते हैं हिंदी ही क्यूँ
तमिल को राष्ट्र भाषा बनाओ
बच्चों माँ की जगह माथे पे होती है
उसे पैरों में न गिराओ
मैं हिंदी हूँ तेरे दिल में बस्ती हूँ
हमें अपना कर तो देखो
सारी दूरियाँ मिट जाएंगी
अखंड भारत हैं हमारा
इसे अखंड ही रहने दो.

शनिवार, 14 सितंबर 2019

कुछ सीखो हमसे

उस आज़ादी का क्या करना
जिससे नित दिन खून खराबा हो
हर ओर उदासी छाई हो
हर घर में रोना-धोना हो
हर सड़क पे खून के धब्बे हो
हर गलियाँ सुनी-सुनी हो
माता-बहनों की चीखों से
चित्कार रही हर दिशा जहां
हर सुबह अँधेरी काली हो
फिर रात का आलम क्या कहना
हर हाथ जहां बारूदो से
मुट्ठी भर कर है सोता
सोती भूखी आधी जनता
खाना-पानी सब है टंटा
हर ओर बिखरती लाशों में
हैं अपना कौन पराया कौन
जीवन है जंग जहाँ
सपना बन्दुक की गोली है
एटम बम पर बैठे रहते
उस देश के नेता हर दम है
कुछ सिख सको तो सिख लो तुम
मेरे बलिदानी नेता से
तुम जपते हो दिन-रात जिसे
सीखो कुछ उसके जीवन से
वह जीता है बस जीता है
हर पल बस देश को जीता है
खुशियाँ इस देश में कैसे हो
हर पल वह कोशिश करता हैं.

बुधवार, 11 सितंबर 2019

कश्मीर

आज 370 से कश्मीर की बेड़ी खुल गई
आज आज़ादी का हमने भी स्वाद चख लिया
कहते है स्वर्ग की धरती हूँ मैं
पर खून की होली ही खेली है हमने
ज़िन्दगी जीने की तो कोई तमन्ना ही नहीं
मौतों का सिलसिला ही देखा है हमने
फूलों के बागों से झांकती है बंदूके
पत्थर मार-मार कर के हम
अपने प्रहरी को है भगाते
आतंकवादियों के मौत पर हम जश्न हैं मनाते
कैसा ये स्वर्ग है हमारा
कितनी छोटी सोच है हमारी
जिस देश ने लाखों सैनिक
हमारे खातिर बलिदान कर दिया
उसको ही अपना दुश्मन है बताते
मैं उम्मीद करती हूँ
सोच बदलेगी हमारी
हम कोहरे से बाहर निकल कर
सच को देख पाएंगे
ज़िन्दगी को खुशियुओं से भर पाएंगे
और इस सच्चाई को
सच बनायेंगे
कि धरती पर स्वर्ग है कही तो
वह कश्मीर की धरती हैं
जो भारत माता का आँचल है
उसे फूल और चाँद सितारों से सजायेंगे
सत्तर वर्षों के बाद ही सही
आज़ादी के मायने हम समझ पाएंगे.

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

जीवन पथ पर

जीवन पथ पर हैं काटें हज़ार
अजीब सी उलझन है
सुलझी हुई ज़िन्दगी
बिखर कर रह जाती है
सब उसे नासमझ और बुद्धू कहते है

हर उलझा हुआ आदमी
कामयाबी की मुकाम पाता है
चोर और बदमाश समाज में सम्मान पाते है
हर ओर उनकी वाह-वाह होती है
आओ-भगत भी लोग खूब उनकी करते है
माँ लक्ष्मी की कृपा भी उन्ही पर बरसती है

देवताओं के आँगन में भोग उनका ही बड़ा होता है
चढ़ावा जितना बड़ा होता है
सम्मान भी उतना ही मिलता है
खुशियों की दस्तक भी 
उनके दरवाज़े ही होती होती है
क्योंकि आज कल हर चीज़
पैसे के बल पर मिलती है

माँ भी उसी पुत्र को आँचल की छावं देती है
जिसके पॉकेट में पैसे की गद्दी होती है
वह पुत्र किस काम का जो खाली हाथ आता है
माँ भी कहती है
समाज में मेरी क़द्र कम हो जाती है
तू तो कभी-कभार ही आया कर

तू पैसा तो कमा पाया नहीं और क्या कर पायेगा
तेरी ईमानदारी भी किस काम की
न तो हमें खुशियाँ दे सकती है
और न ही सम्मान
तेरा होना भी न होने के बराबर है

जब माँ ही बेगानों-सा व्यवहार करती  है
तो गैरों से क्या उम्मीद करूँ
गैरों के ठोकर से तो अब दर्द भी नहीं होता
अपनों ने ही ज़ख्म इतने दिए है
अब तो ज़ख्म से भी प्यार होने लगा है

अब तो हर वक्त ये डर लगता है
की अगला नंबर किस रिश्ते का है
कौन-सा रिश्ता अपना फरमान सुनाएगा
तू है बेगाना अब मेरे लिए
मत आना मेरे द्वार
अब तेरा मेरा रिश्ता ही क्या है.....?