आज 370 से कश्मीर की बेड़ी खुल गई
आज आज़ादी का हमने भी स्वाद चख लिया
कहते है स्वर्ग की धरती हूँ मैं
पर खून की होली ही खेली है हमने
ज़िन्दगी जीने की तो कोई तमन्ना ही नहीं
मौतों का सिलसिला ही देखा है हमने
फूलों के बागों से झांकती है बंदूके
पत्थर मार-मार कर के हम
अपने प्रहरी को है भगाते
आतंकवादियों के मौत पर हम जश्न हैं मनाते
कैसा ये स्वर्ग है हमारा
कितनी छोटी सोच है हमारी
जिस देश ने लाखों सैनिक
हमारे खातिर बलिदान कर दिया
उसको ही अपना दुश्मन है बताते
मैं उम्मीद करती हूँ
सोच बदलेगी हमारी
हम कोहरे से बाहर निकल कर
सच को देख पाएंगे
ज़िन्दगी को खुशियुओं से भर पाएंगे
और इस सच्चाई को
सच बनायेंगे
कि धरती पर स्वर्ग है कही तो
वह कश्मीर की धरती हैं
जो भारत माता का आँचल है
उसे फूल और चाँद सितारों से सजायेंगे
सत्तर वर्षों के बाद ही सही
आज़ादी के मायने हम समझ पाएंगे.
आज आज़ादी का हमने भी स्वाद चख लिया
कहते है स्वर्ग की धरती हूँ मैं
पर खून की होली ही खेली है हमने
ज़िन्दगी जीने की तो कोई तमन्ना ही नहीं
मौतों का सिलसिला ही देखा है हमने
फूलों के बागों से झांकती है बंदूके
पत्थर मार-मार कर के हम
अपने प्रहरी को है भगाते
आतंकवादियों के मौत पर हम जश्न हैं मनाते
कैसा ये स्वर्ग है हमारा
कितनी छोटी सोच है हमारी
जिस देश ने लाखों सैनिक
हमारे खातिर बलिदान कर दिया
उसको ही अपना दुश्मन है बताते
मैं उम्मीद करती हूँ
सोच बदलेगी हमारी
हम कोहरे से बाहर निकल कर
सच को देख पाएंगे
ज़िन्दगी को खुशियुओं से भर पाएंगे
और इस सच्चाई को
सच बनायेंगे
कि धरती पर स्वर्ग है कही तो
वह कश्मीर की धरती हैं
जो भारत माता का आँचल है
उसे फूल और चाँद सितारों से सजायेंगे
सत्तर वर्षों के बाद ही सही
आज़ादी के मायने हम समझ पाएंगे.
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