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अयोध्या धाम

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शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

संवाद (माँ-बेटे की)

दिल में जो वेदना थी
हमने सुनाया माँ को
माँ तैस में आ जाती
कहती हैं खोट तुझमें
हैं तू गलत तो सबने
तुझको गलत बताया
तू चाँद तोड़कर भी
कदमो में मेरे लाया
फिर भी न तुझको मैं तो
सच्चा कहूं कभी भी
क्योंकि हमेशा तुमने
मेरा है दिल दुखाया
मैं चाहती थी पोता
तुमने है पोती लाया
मेरे भावना थी दिल में
उसमें है चोट आया
कैसे कहूं मैं तुझको
तू लाडला हैं मेरा
पहले तू था हमारा
अब हो गया किसी का
जब तू हुआ बेगाना
हम को मिला बहाना
हमने भी कर लिया है
तुझसे ही अब किनारा
अब दूर-दूर होगा
तेरा-मेरा ठिकाना
हमने न तुमको जाना
तुमने न हमको जाना
अब और नहीं करना
हमको कोई बहाना।

8 टिप्‍पणियां:


  1. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    22/09/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही मार्मिक ,अक्सर ये छोटी छोटी बाते दिलो में दूरियां ला देती हैं।

    जवाब देंहटाएं