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शनिवार, 28 सितंबर 2019

मेरे प्रभु

सबने ठुकराया जिसको
रब ने अपनाया उसको
हर राह दिखाया उसको
हर मोड़ पर उसने रब को
अपने अन्दर ही पाया
जब ठोकर खाकर जिस दिन
वो गिरने ही वाला था
हर बार बचाया रब ने
आँसू भी पोछे उसने
जीवन की हर उलझन से
हर बार निकाला रब ने
है कोई शक्ति ऐसी
जो साथ खड़ी है मेरे
जब डूबने को मैं आता
वो हाथ बढ़ाये झटसे
मन को बहलाया ऐसे
जैसे माँ बहलाती हैं
माँ प्यार से समझाती है
अच्छी-अच्छी बातो से
जैसे माँ फुसलाती है
ये रात भी कट जाएगी
तेरे भाग्य का सोया सूरज
एक दिन चमकेगा नभ पे.

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