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तुम से तुम तक

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सोमवार, 16 सितंबर 2019

हिंदी

मैं हिंदी हूँ
भारत माँ के माथे की बिंदी हूँ
हर्ष और उल्लास की अभिव्यक्ति हूँ
मैं सरल सुन्दर और प्रेम की भाषा हूँ
मैं विश्व में दुसरे नंबर की भाषा हूँ
मेरे छने वाले की लम्बी कतार है
मैं अपनी बात आसानी से दुसरो तक पहुँचाहती हूँ
सबके दिलों में बड़ी जल्दी मैं बस जाती हूँ
पर अपने ही देश में
सब मेरे पर टंटा करते है
कहते हैं हिंदी ही क्यूँ
तमिल को राष्ट्र भाषा बनाओ
बच्चों माँ की जगह माथे पे होती है
उसे पैरों में न गिराओ
मैं हिंदी हूँ तेरे दिल में बस्ती हूँ
हमें अपना कर तो देखो
सारी दूरियाँ मिट जाएंगी
अखंड भारत हैं हमारा
इसे अखंड ही रहने दो.

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