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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

सोमवार, 24 मई 2021

अनजाने रिश्ते

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
रस समरसता का घोल रहे 
आँखों के आँसू पोंछ रहे 

रिश्ते अनजाने बोल रहे 
वो घर-घर जाकर डोल रहे 
मदद कोई जो मांगे उनसे 
भाग-भाग कर पहुंचे उनतक 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
घर-घर से नाता जोड़ रहे 
गुमसुम हताश बैठे लोगों तक 
खाकी ने हाथ बढ़ाया 
दी मदद हाथ से हाथ मिला 
उनको मुकाम तक पहुँचाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
कड़वी सच्चाई खोल रहे 
अपनों ने हाथ छुड़ाया 
गैरों ने हाथ बढाया 
जीवन का पाठ   पढ़ाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
जीवन जिसपर कुर्बान किया 
उसने हमको अनजान किया. 

  



गुरुवार, 20 मई 2021

विपदा

ये कैसी विपदा आई
चहुँ ओर उदासी छाई
हँसते खिलते चेहरे पर 
आँसू की बूंदें आई 

ये कैसी विपदा आई 
खुशियों पर ग्रहण लगाई 
सब कैद हुए घर-घर में 
सब बिछड़ रहे हैं अपने 

ये कैसी विपदा आई
सब ओर मचा है क्रंदन 
मूक दर्शक घर और आंगन 
हर ओर विरह की बातें 
है दर्द भरा ये मौसम 

ये कैसी विपदा आई
जीवन खामोश हुई है 
आंसू नयनों में सूखे 
मुख पर ख़ामोशी छाई 

ये कैसी विपदा आई
हर ओर अकेलापन 
हर घर में ख़ामोशी है 
जो छोड़ गए इस जग को 
अंतिम विदाई में उनके 
गिनती के लोग खड़े हैं 

ये कैसी विपदा आई
लुट गया सभी कुछ अपना 
दिल को समझाऊ कैसे 
आगे कुछ अच्छा होगा 
ये सुनी सड़के फिर से 
आबाद कभी क्या होगी . 


मंगलवार, 18 मई 2021

श्रधा सुमन

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम देवलोकों में विचरण करो
सब छोड़ तुम मोह माया का बंधन 
जगत से पड़े लोक में जब चली 
अश्रुधारा  नयन से बहा के चली

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम्हे मुक्ति मिले मुक्त संसार हो 
तुम जहाँ भी रहो प्यार ही प्यार हो 
सारी खुशियाँ मिले अब नए वेश में 
रह गए शेष सब आज सन्देश में 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
याद मिठे भी हैं याद कड़वे भी हैं 
भिगते हैं नयन याद जब भी करूँ 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
जीवन की बहती धारा से 
तुम राह मोड़ कर निकली हो
तुम अपनी राह बना लेना 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम मुक्त गगन में छा जाना 
तुम तारों के देश में 
टीम-टीम तारों सा करना.   


शनिवार, 15 मई 2021

सावन की पहली बारिश

सावन की पहली बारिश में
भींगा तन - बदन हमारा
मन मोर हुआ है अब तो 
गीतों की धुन सांसों में 
रिमझिम फुहार के बीच बसी

सावन की पहली बारिश ने 
मन के तारों को छेड़ दिया 
कुछ भूले बिसरे यादों को 
मन के आँगन में खोल दिया 

हरियाली ने दस्तक देकर
 हर ओर सुहाना कर डाला 
ठंढी - ठंढी बही बयारें 
कोयल मीठी बोल रही है 

प्रकृति भी सावन के संग-संग 
अपनी खुशियां बांट रही है 
मोर - मोरनी की खुशियों में 
हम सब मिलकर गाते हैं 
सावन की पहली बारिश का 
सब आनन्द उठाते हैं।   
 

शनिवार, 8 मई 2021

मैं नन्ही परी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
मुस्कान सदा दे जाउंगी

मैं रोज तेरे सपनों में आकर 
आँखों से नींद चुराउंगी 

हूँ आज यहाँ कल दूर देश 
मैं पंख लगा उड़ जाउंगी 

अपनी मिट्टी की खुशबु को 
परदेश में भि फैलाउंगी 

मैं जाऊ जहाँ सबको अपना 
खुशियों का मंत्र बताउंगी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
सब ओर ख़ुशी फैलाउंगी  

माँ की ममता आंचल की छावं 
माँ की खुशियाँ  मेरी मुस्कान .


गुरुवार, 6 मई 2021

तलाश

कर रहे तलाश जिंदगी की
दिन रात खौफ में हैं
साँसें जो ढूंढता हूँ
गले मौत मिल रही है
हर पल हमारी सांसें 
बेमौत मर रही है 

हर ओर पसरी मायूसी 
जीवन बड़ा कठिन है 
मेरी तलाश मुझको 
ले जाएगी कहाँ तक 

है कौन सा ये मंजर 
कैसी विरानगी है 
अपनों से दूर अपने 
कैसी ये वानगी है 

जो चल रहे थे आगे 
पिछे को हो लिए हैं 
जो सांस बच गई तो 
फिर से तलाश लेंगे 

मंजिल जो खो गया है 
वो राह फिर मिलेंगे 
पर खो गए जो अपने
फिर अब कहाँ मिलेंगे . 

बुधवार, 5 मई 2021

रिश्तेदार

कोई रिश्ता कभी पुराना नहीं होता
ये संच है कि जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं होता

हर पल परिस्थितियां बदलती रहती है 
पर इंसानियत कल्ह  भी वैसी ही थी 
आज भी वैसी ही है 
और आगे भी वैसी ही रहेगी 

जो रिश्ता बदल लेते हैं, वक़्त के साथ 
वो हमारे रिश्तेदार नहीं होते 
वो जीवन की राह में मिलने वाले 
वो बेगाने हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं होती 

अनजाने लोगों का क्या 
वो तो रोज  मिलते हैं 
और फिर रोज बिछड़ जाते हैं 

रिश्ते और रिश्तेदार 
दोनों उस अहसास की तरह हैं 
जो वक़्त के साथ और गहरी होती जाती है 

संच्चे रिश्ते में नफरत की कोई जगह नहीं होती 
विश्वास इतना मजबूत होता है कि 
कोई भी आफत उसे डरा नहीं पाता 
कोई भी झोंका उसे गिरा नहीं पाता .