ये संच है कि जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं होता
हर पल परिस्थितियां बदलती रहती है
पर इंसानियत कल्ह भी वैसी ही थी
आज भी वैसी ही है
और आगे भी वैसी ही रहेगी
जो रिश्ता बदल लेते हैं, वक़्त के साथ
वो हमारे रिश्तेदार नहीं होते
वो जीवन की राह में मिलने वाले
वो बेगाने हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं होती
अनजाने लोगों का क्या
वो तो रोज मिलते हैं
और फिर रोज बिछड़ जाते हैं
रिश्ते और रिश्तेदार
दोनों उस अहसास की तरह हैं
जो वक़्त के साथ और गहरी होती जाती है
संच्चे रिश्ते में नफरत की कोई जगह नहीं होती
विश्वास इतना मजबूत होता है कि
कोई भी आफत उसे डरा नहीं पाता
कोई भी झोंका उसे गिरा नहीं पाता .
वाह👌
जवाब देंहटाएंthanks sir
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