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बुधवार, 5 मई 2021

रिश्तेदार

कोई रिश्ता कभी पुराना नहीं होता
ये संच है कि जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं होता

हर पल परिस्थितियां बदलती रहती है 
पर इंसानियत कल्ह  भी वैसी ही थी 
आज भी वैसी ही है 
और आगे भी वैसी ही रहेगी 

जो रिश्ता बदल लेते हैं, वक़्त के साथ 
वो हमारे रिश्तेदार नहीं होते 
वो जीवन की राह में मिलने वाले 
वो बेगाने हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं होती 

अनजाने लोगों का क्या 
वो तो रोज  मिलते हैं 
और फिर रोज बिछड़ जाते हैं 

रिश्ते और रिश्तेदार 
दोनों उस अहसास की तरह हैं 
जो वक़्त के साथ और गहरी होती जाती है 

संच्चे रिश्ते में नफरत की कोई जगह नहीं होती 
विश्वास इतना मजबूत होता है कि 
कोई भी आफत उसे डरा नहीं पाता 
कोई भी झोंका उसे गिरा नहीं पाता .

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