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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

सोमवार, 24 मई 2021

अनजाने रिश्ते

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
रस समरसता का घोल रहे 
आँखों के आँसू पोंछ रहे 

रिश्ते अनजाने बोल रहे 
वो घर-घर जाकर डोल रहे 
मदद कोई जो मांगे उनसे 
भाग-भाग कर पहुंचे उनतक 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
घर-घर से नाता जोड़ रहे 
गुमसुम हताश बैठे लोगों तक 
खाकी ने हाथ बढ़ाया 
दी मदद हाथ से हाथ मिला 
उनको मुकाम तक पहुँचाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
कड़वी सच्चाई खोल रहे 
अपनों ने हाथ छुड़ाया 
गैरों ने हाथ बढाया 
जीवन का पाठ   पढ़ाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
जीवन जिसपर कुर्बान किया 
उसने हमको अनजान किया. 

  



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