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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शनिवार, 8 मई 2021

मैं नन्ही परी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
मुस्कान सदा दे जाउंगी

मैं रोज तेरे सपनों में आकर 
आँखों से नींद चुराउंगी 

हूँ आज यहाँ कल दूर देश 
मैं पंख लगा उड़ जाउंगी 

अपनी मिट्टी की खुशबु को 
परदेश में भि फैलाउंगी 

मैं जाऊ जहाँ सबको अपना 
खुशियों का मंत्र बताउंगी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
सब ओर ख़ुशी फैलाउंगी  

माँ की ममता आंचल की छावं 
माँ की खुशियाँ  मेरी मुस्कान .


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