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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

गुरुवार, 6 मई 2021

तलाश

कर रहे तलाश जिंदगी की
दिन रात खौफ में हैं
साँसें जो ढूंढता हूँ
गले मौत मिल रही है
हर पल हमारी सांसें 
बेमौत मर रही है 

हर ओर पसरी मायूसी 
जीवन बड़ा कठिन है 
मेरी तलाश मुझको 
ले जाएगी कहाँ तक 

है कौन सा ये मंजर 
कैसी विरानगी है 
अपनों से दूर अपने 
कैसी ये वानगी है 

जो चल रहे थे आगे 
पिछे को हो लिए हैं 
जो सांस बच गई तो 
फिर से तलाश लेंगे 

मंजिल जो खो गया है 
वो राह फिर मिलेंगे 
पर खो गए जो अपने
फिर अब कहाँ मिलेंगे . 

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