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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

चाँद के तले

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
शीतलता चाँद सी
हो हमारे बीच
सुंदरता चाँद सा
तुमको हैं मिला
तुमसे मिलके चेहरे मेरे
खुशियों से खिले।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
खो गयी ख़ुशी जहां से
खो गया चैनो अमन
हर तरफ हैं भागम-भाग
छा गयी माहौल में
बेचैनियाँ है हर तरफ
फिर भी मेरा वादा तुमसे
लाएंगे हम ढूंढ कर
खुशियों के पल चून कर।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
चाहें कितनी ज़िन्दगी में
हो अंबार मुश्किलों का
मुश्किलों के बीच भी
खुशियां तलाश लेंगे हम
धुंध चाहे कितनी हो
राहे तलाश लेंगे हम
मिलकर फतह
हर मुश्किलों पर
दर्ज हम कराएंगे
प्रेम और खुशियों का मंदिर
घर को हम बनाएंगे।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम। 

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019

सच्चाई ज़िन्दगी की

वो लोग बड़े खुश किस्मत है
जिसने जीवन का हर दर्द जिया
खुशियों को दामन में भर कर
गम का आलिंगन लेते है
हर गम को जीवन में जी कर
गम का सम्मान बढ़ाते है
गम कहाँ सदा रहने वाला है
यह कह कर मन बहलाते हैं
बरस दर बरस बीत गए
हर नए वर्ष में
खुशियों के गीत गाते है वो
गम के आँसू पीलेंगे हम
नैनों में उसको जी लेंगे हम
गम और खुशियों को
मिलजुल कर जी लेंगे हम
हैं भरोसा अपने आप पर तो
ठोकर को भी गले का हार बना लेंगे
जो शर्म करते थे हम पर
हमसे मिलने को तरस खाएंगे

काश जिंदगी के जद्दोजहद में
सच का आईना भी लगा लेते
हम कभी गलत न थे
अपने आप पहचान लेते
वक्त ने रुलाया था हमें
पर हर बार हिम्मत हमने
खुद से ही जुटाई
जब कभी किसी ओर हाथ बढाया
हमेशा अँधेरा ही पाया
हर ज़ख्म अपनों ने दिया
कभी ये न सोचा कि
दर्द हम भी महसूस करते है
अब क्यों जानना चाहते हो हमें
अब तो पत्थरो में
ढल गए है हम
अब कोई दर्द महसूस नहीं होता
अब तो ज़िन्दगी में बहुत दूर
निकल गए है हम.

बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

सपनो का भारत

स्वच्छ भारत सुंदर भारत
आओ मिलकर हम बनाये
गीत खुशियों के जो गाये
मिल जुलकर हम स्वच्छता का
पाठ सबको ही पढाए
खुशनुमा माहौल होगा
साफ़ मेरा घर आँगन
हर गली हर द्वार होगा
हर चौराहे पर खुशियाँ घुमती हो
दशो दिशायें फूलो की खुशबुओं से
खिल उठा हर ओर भारत
माताए बहने स्वस्थ होंगी
फिर नया समृद्ध भारत
मिल के हम बनायेंगे.


शनिवार, 28 सितंबर 2019

मेरे प्रभु

सबने ठुकराया जिसको
रब ने अपनाया उसको
हर राह दिखाया उसको
हर मोड़ पर उसने रब को
अपने अन्दर ही पाया
जब ठोकर खाकर जिस दिन
वो गिरने ही वाला था
हर बार बचाया रब ने
आँसू भी पोछे उसने
जीवन की हर उलझन से
हर बार निकाला रब ने
है कोई शक्ति ऐसी
जो साथ खड़ी है मेरे
जब डूबने को मैं आता
वो हाथ बढ़ाये झटसे
मन को बहलाया ऐसे
जैसे माँ बहलाती हैं
माँ प्यार से समझाती है
अच्छी-अच्छी बातो से
जैसे माँ फुसलाती है
ये रात भी कट जाएगी
तेरे भाग्य का सोया सूरज
एक दिन चमकेगा नभ पे.

रविवार, 22 सितंबर 2019

मातृभूमि

कण-कण में भारत बसता हैं
हर मन में भारत बसता है
भारत माता की शान यही
हर दिल में भारत बसता है

कण-कण में भारत बसता हैं
है भारत की पहचान यही
हर घर में भारत बसता है
है हरित-क्रांति का देश मेरा
पग-पग में खुशियाँ मिलती है

कण-कण में भारत बसता हैं
हैं नोक-झोक, है हँसी-ठिठोली
जब देश की बात है आती
हम हो जाते सब एक

कण-कण में भारत बसता हैं
सर मेरा झुके नहीं
हाथ पहले कभी उठे नहीं
पर हमको आँख दिखने वाले
सलामत नहीं बच पाओगे
पलट के जाने के लिए.

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

संवाद (माँ-बेटे की)

दिल में जो वेदना थी
हमने सुनाया माँ को
माँ तैस में आ जाती
कहती हैं खोट तुझमें
हैं तू गलत तो सबने
तुझको गलत बताया
तू चाँद तोड़कर भी
कदमो में मेरे लाया
फिर भी न तुझको मैं तो
सच्चा कहूं कभी भी
क्योंकि हमेशा तुमने
मेरा है दिल दुखाया
मैं चाहती थी पोता
तुमने है पोती लाया
मेरे भावना थी दिल में
उसमें है चोट आया
कैसे कहूं मैं तुझको
तू लाडला हैं मेरा
पहले तू था हमारा
अब हो गया किसी का
जब तू हुआ बेगाना
हम को मिला बहाना
हमने भी कर लिया है
तुझसे ही अब किनारा
अब दूर-दूर होगा
तेरा-मेरा ठिकाना
हमने न तुमको जाना
तुमने न हमको जाना
अब और नहीं करना
हमको कोई बहाना।

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

हम और तुम

डगर पे निगाहें टिकाए रखेंगे
अभी हौसला हैं लुटाते रहेंगे
तुम्हे जंग जब प्रेम से हो गयी है 
पर हम प्रेम सब पर लुटाते रहेंगे
तुम्हे तोड़ना है तो तोड़ो
मगर प्रेम से मैं जुटाती रहूंगी
तेरी साजिशों को बेपर्दा करुँगी
तुम्हे जानेमन सबसे रुसवा करुँगी
न सोचो कि कमज़ोर हम पर गए है
हमें वक्त पर अपना मौका मिलेगा
तुम्हे दर्द का और तौहफा मिलेगा
कहाँ फूल शबनम सितारा मिलेगा
गम आसुओं का सहारा मिलेगा
किसी के भी दिल का जो सौदा करोगे
सुकूं से कभी जी न पाओगे तुम भी
हमें लांघना है ख़ुशी का समंदर
परे तुम रहो दरिया गम के किनारे
जहां हम रहे फूल खुशियों के खिलते
तुम तो आसुओं का पिटारा बनोगे.

बुधवार, 18 सितंबर 2019

चंद्रयान - 2

चुन्नू बोला पापा से तुम चंद्रयान ले आना
पापा बोले बेटा तूने ये क्या माँगा मुझसे
मैं तो हूँ एक आम आदमी यान कहा से लाऊंगा
पापा कितने बुद्धू हो तुम
चंद्रयान - 2 हमने भेजा मामा ने उसको है पकड़ा
वही यान तो मैं कहता हूँ आपको लाने को
पापा मामा से कहना वह यान हमें लौटा दे
फिर मैं उसको ठीक करा कर मामा के घर जाऊंगा
वही बैठ कर इसरो को मैं साड़ी न्यूज़ बताऊंगा
इसरो में सब साथी बैठे राह ताकते होंगे
मामा अब तो जल्दी कर लो मान-मनौवल मत करवाओ
साल ग्यारह हमने झोके चंद्रयान पहुंचाने में
पर तुमने मेरी मेहनत को क्यों झटका दे डाला
मैं तो अपने मामा के घर ख़ुशी-ख़ुशी आया था
तेरी खोई दुनिया को जगमग करने आया था
तुमने मेरा राह रोक कर मुझे निराश किया है
तुम कैसे चंदा मामा हो मुंह फुलाए बैठे
तुम तो बस इस चंद्रयान को थोड़ी ताकत दे दो
फिर तुम देखो ख़ुशी-ख़ुशी मैं क्या कमाल करता हूँ
फिर हम दोनों मिल करके इतिहास नया लिखेंगे.

सोमवार, 16 सितंबर 2019

हिंदी

मैं हिंदी हूँ
भारत माँ के माथे की बिंदी हूँ
हर्ष और उल्लास की अभिव्यक्ति हूँ
मैं सरल सुन्दर और प्रेम की भाषा हूँ
मैं विश्व में दुसरे नंबर की भाषा हूँ
मेरे छने वाले की लम्बी कतार है
मैं अपनी बात आसानी से दुसरो तक पहुँचाहती हूँ
सबके दिलों में बड़ी जल्दी मैं बस जाती हूँ
पर अपने ही देश में
सब मेरे पर टंटा करते है
कहते हैं हिंदी ही क्यूँ
तमिल को राष्ट्र भाषा बनाओ
बच्चों माँ की जगह माथे पे होती है
उसे पैरों में न गिराओ
मैं हिंदी हूँ तेरे दिल में बस्ती हूँ
हमें अपना कर तो देखो
सारी दूरियाँ मिट जाएंगी
अखंड भारत हैं हमारा
इसे अखंड ही रहने दो.

शनिवार, 14 सितंबर 2019

कुछ सीखो हमसे

उस आज़ादी का क्या करना
जिससे नित दिन खून खराबा हो
हर ओर उदासी छाई हो
हर घर में रोना-धोना हो
हर सड़क पे खून के धब्बे हो
हर गलियाँ सुनी-सुनी हो
माता-बहनों की चीखों से
चित्कार रही हर दिशा जहां
हर सुबह अँधेरी काली हो
फिर रात का आलम क्या कहना
हर हाथ जहां बारूदो से
मुट्ठी भर कर है सोता
सोती भूखी आधी जनता
खाना-पानी सब है टंटा
हर ओर बिखरती लाशों में
हैं अपना कौन पराया कौन
जीवन है जंग जहाँ
सपना बन्दुक की गोली है
एटम बम पर बैठे रहते
उस देश के नेता हर दम है
कुछ सिख सको तो सिख लो तुम
मेरे बलिदानी नेता से
तुम जपते हो दिन-रात जिसे
सीखो कुछ उसके जीवन से
वह जीता है बस जीता है
हर पल बस देश को जीता है
खुशियाँ इस देश में कैसे हो
हर पल वह कोशिश करता हैं.

बुधवार, 11 सितंबर 2019

कश्मीर

आज 370 से कश्मीर की बेड़ी खुल गई
आज आज़ादी का हमने भी स्वाद चख लिया
कहते है स्वर्ग की धरती हूँ मैं
पर खून की होली ही खेली है हमने
ज़िन्दगी जीने की तो कोई तमन्ना ही नहीं
मौतों का सिलसिला ही देखा है हमने
फूलों के बागों से झांकती है बंदूके
पत्थर मार-मार कर के हम
अपने प्रहरी को है भगाते
आतंकवादियों के मौत पर हम जश्न हैं मनाते
कैसा ये स्वर्ग है हमारा
कितनी छोटी सोच है हमारी
जिस देश ने लाखों सैनिक
हमारे खातिर बलिदान कर दिया
उसको ही अपना दुश्मन है बताते
मैं उम्मीद करती हूँ
सोच बदलेगी हमारी
हम कोहरे से बाहर निकल कर
सच को देख पाएंगे
ज़िन्दगी को खुशियुओं से भर पाएंगे
और इस सच्चाई को
सच बनायेंगे
कि धरती पर स्वर्ग है कही तो
वह कश्मीर की धरती हैं
जो भारत माता का आँचल है
उसे फूल और चाँद सितारों से सजायेंगे
सत्तर वर्षों के बाद ही सही
आज़ादी के मायने हम समझ पाएंगे.

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

जीवन पथ पर

जीवन पथ पर हैं काटें हज़ार
अजीब सी उलझन है
सुलझी हुई ज़िन्दगी
बिखर कर रह जाती है
सब उसे नासमझ और बुद्धू कहते है

हर उलझा हुआ आदमी
कामयाबी की मुकाम पाता है
चोर और बदमाश समाज में सम्मान पाते है
हर ओर उनकी वाह-वाह होती है
आओ-भगत भी लोग खूब उनकी करते है
माँ लक्ष्मी की कृपा भी उन्ही पर बरसती है

देवताओं के आँगन में भोग उनका ही बड़ा होता है
चढ़ावा जितना बड़ा होता है
सम्मान भी उतना ही मिलता है
खुशियों की दस्तक भी 
उनके दरवाज़े ही होती होती है
क्योंकि आज कल हर चीज़
पैसे के बल पर मिलती है

माँ भी उसी पुत्र को आँचल की छावं देती है
जिसके पॉकेट में पैसे की गद्दी होती है
वह पुत्र किस काम का जो खाली हाथ आता है
माँ भी कहती है
समाज में मेरी क़द्र कम हो जाती है
तू तो कभी-कभार ही आया कर

तू पैसा तो कमा पाया नहीं और क्या कर पायेगा
तेरी ईमानदारी भी किस काम की
न तो हमें खुशियाँ दे सकती है
और न ही सम्मान
तेरा होना भी न होने के बराबर है

जब माँ ही बेगानों-सा व्यवहार करती  है
तो गैरों से क्या उम्मीद करूँ
गैरों के ठोकर से तो अब दर्द भी नहीं होता
अपनों ने ही ज़ख्म इतने दिए है
अब तो ज़ख्म से भी प्यार होने लगा है

अब तो हर वक्त ये डर लगता है
की अगला नंबर किस रिश्ते का है
कौन-सा रिश्ता अपना फरमान सुनाएगा
तू है बेगाना अब मेरे लिए
मत आना मेरे द्वार
अब तेरा मेरा रिश्ता ही क्या है.....?

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

रिश्ते की डोर

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
प्रेम से महकती है
खुशियों से चमकती है 
रिश्तों से चलती है 
जीवन की बगीया 

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
खुशियाँ हो घर आँगन में 
उसके खातिर घर की लक्ष्मी 
दीपक सी जलती है 
पवन की सुखद एहसास 
हर साँसों में भारती है 
घर का हर कोना खुशियों से 
महकाने के खातिर हर बला से 
पहाड़ की तरह लडती है 

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
शक और विश्वासघात ये दोनों ऐसे कीड़े है 
जो रिश्तो की डोर को कमज़ोर ही नही 
तोड़ भी देते है 
उसके अंदर की खुशबु सोख लेते है 
बड़ी- बड़ी खुशियों को पल में निगल जाते है 

जीवन की डोर थाम तो ली है 
पर भरोसा रखने और निभाने 
का सच्चा प्रयत्न तो करो 
रिश्ता बाज़ार में बिकता नही 
इसकी तोल-मोल न करो 
टूट कर रह जाओगे 
एक दिन ऐसा आएगा 
जब रिश्तो के लिए 
तरस जाओगे.

शनिवार, 29 जून 2019

पंखुरियाँ

गुलाब की पंखुरियों पर 
फैली ओस की कुछ बुँदे थी 
उनको वहम था 
हमसे कोमल कोई नहीं 
हम तो सुन्दर है 
खुशबूदार है 
प्रकृति का श्रृंगार है 
कोई छुए तो 
मैं चुभ भी जाती हूँ 
फिर भी लोग हम पे मरते है 
हमारे संग ही 
अपने प्रेम का इज़हार करते है 
हमारा रंग जब लाल हो तो 
प्यार बन जाता है 
वही जब पीला हो तो 
दोस्ती का शिखर बन जाता है 
काला हो तो 
उदासी का कारण बन जाता है 
और जब सफ़ेद हो तो 
हम शान्ति दूत बन जाते है 
हमसे सुन्दर कौन है 
हमसे कोमल कौन है 
पर गुलाब की पंखुरियाँ 
तुझे कहाँ पता है 
ये बेरहम दुनिया 
और इसके लोग 
तेरा क्या हश्र करेंगे 
जीने भी नहीं देंगे 
तुम्हे मरने भी नहीं देंगे 
अपने हाथो में ले कर 
तुम्हे पूरी तरह खिलने भी नहीं देंगे 
इनके कारनामों से 
मौसम इतना बदला है कि 
ये तुम्हे जीने भी नहीं देंगे 
और मरने भी नहीं देंगे 
अपने आप पर इतना इतराओ मत 
ये बेरहम दुनिया है 
ये किसी का भला नहीं चाहते 
ये तो बस स्वार्थ में दुबे है 
अपने लिए जीते है। 

सोमवार, 10 जून 2019

आसमां

मैं पंछी हूँ, आकाश नहीं 
जीवन रण में अनजान नहीं 
मेरी सोच नयी, ये बात अलग 
हैं अपनों की पहचान मुझे 
मैं बोलती कम हूँ पर नादान नहीं 
मैं जानती हूँ, सब जानते है मुझे 
दूर रहकर भी पहचानते है मुझे 
पर गिला सबको है मुझसे 
हरा पाएंगे कब इसको 
मेरी हार से क्यों खुश होते हो तुम लोग 
अपनी जीत का जश्न मानाना सीखो 
हमने तो जंग में भी जश्न मनाये हैं 
बार-बार गिरकर भी संभल जाते है 
राह रोककर खड़े है अपने ही 
कोई बात नहीं अर्जुन बनकर ही निकल जाएंगे 
हम नहीं जानना चाहते उनको 
जो मेरे राह में खड़े है 
वो अपने हो या अनजाने 
किसी की परवाह नहीं करते हम 
खतरा सामने है, डटकर लड़ेंगे 
हक़ अपना हम लेकर रहेंगे 
आसमान में उन मुक्त उड़कर रहेंगे 
जीवन जीने के लिए मिली हैं 
अभावो में ही सही 
इसे जी भर कर जीएंगे 
गम को मुस्करा कर पिलेते है हम 
खुशियों के स्वागत में दामन 
फैला देते है हम 
अपनों से ना सही गैरो से ही 
प्रेम पा लेते हैं हम 
ज़िन्दगी तन्हाइयों में क्यों गुज़ारे 
गैरों के बीच ही अपना घर 
बना लेते है हम।

बुधवार, 29 मई 2019

हौसला

हर पल बदलते रहे, रिश्तों के मायने
हर कदम में, राह काटों से भरी थी 
ज़िन्दगी अपनी तूफानी, सैलाबों में फँसी थी 
कब होती भोर, कब शाम ढल जाए 
मुझको न थी खबर, बस इतना था यकीन
इन सैलाबों से जूझ कर भी 
मैं एक दिन निकल जाउंगी पार 
ज़िन्दगी की राहों में
अक्सर गुमशुदा रह जाते है लोग 
हार कर थक कर, निराश हो जाते है लोग 
किस्मत को कोस कर ही, चैन पाते है लोग 
पर हमने तो अपनी राह बनाई है हर दम 
थोड़ा-थोड़ा कर के ही सही 
मंज़िलो की और कदम बढ़ाये है हमने 
ज़िन्दगी को एक मुकाम तक लाने की 
हिम्मत दिखाई है हमने 

राह ज़िन्दगी की आसान नहीं होती 
पर इसको आसान बनाने की हिम्मत 
दिखाई है हमने 
अंगारों भरी राह पर, बर्फ बिछाई है हमने 
सुनी आँखों में सपनो की तस्वीर
जगाई है हमने 
अँधेरी रातों में भी, खुशियों के बल्ब 
जलाये है हमने 

अपनों के बीच, संसार बसते है लोग 
हमने तो बेगानो के बीच ही 
अपना संसार बसाया है 
दामन में समेट ली वो सारी खुशियां 
जो अनजान शहर और अनजान लोगों ने 
बरसाई है हम पे 
हौसला ज़िन्दगी में हमेशा राह दिखाता है 
हौसला हर मुश्किल में ताकत बन जाता है 
हौसला रखना हर दम 
नामुमकिन चीज़ भी मुमकिन बन जाता है।

मंगलवार, 28 मई 2019

सफर ज़िन्दगी का

भटकता हूँ दर-दर कहाँ अपना घर है
जहां चैन से रात हमने गुज़ारी
सिपाही समर में उतर के चला हूँ
जहाँ हम गए हो वही के चले है
कहाँ से चले अब कहाँ आ गए है
दुनिया के हर रंग में हम ढले है
हो तप्ती सी गर्मी या बर्फीली चादर
चले बेधड़क हम समर में उतर कर

ज़िन्दगी भोर का उगता हुआ सूरज है
बचपन सुखद आश्चर्य का संगम है
जवानी दोपहरी की तपती हुईं रेत तो
बुढ़ापा शाम का वो छाँव है
जो दुखता भी है और
ज़िन्दगी की खट्टी-मीठी यादों
में रमता भी है

हो के  मायूस ना  यु शाम की तरह
ढलते रहिये
ज़िन्दगी एक भोर है सूरज की तरह
निकलते रहिये
ठहरोगे एक पाव पर तो
थक जाओगे
धीरे-धीरे ही मगर राह पर
चलते रहिये
ये सफर खट्टे-मीठे अनुभवों
का सफर है
बस इस राह पर मुस्कुरा कर
आगे बढ़ते रहिये।

शनिवार, 11 मई 2019

कल आज और कल

इन्ही रातों के दामन से सुनहरा
कल भी निकलेगा
ज़िन्दगी जीने के लिए मिली है
रोने  के लिए नहीं
उसे समझने में वक्त ज़ाया मत करो
सुन्दर सपनो का वक्त गुज़र जायेगा
अब तो बचपन से छूटे है
जवानी का दौर हैं 
आँखों में उमंग है
सपनो का तरंग हैं
अपने पास कुछ हो न हो
तुम मेरे साथ हो और मैं तुम्हारे
साथ हूँ
और हमें क्या चाहिए
आज हर तरफ महंगाई और मुफलिसी का
आलम है
खनखनाती सिक्को के इस दौर में
हाथ खाली हैं हमारे
हम अपने जज़्बातों को जोड़कर
पन्नों पर उतार तो दे
पर इन्हे लोगों तक पहुंचाएं कैसे
हर काम के लिए पैसो की ज़रुरत होती है
बगैर पैसे उन ज़रूरतों को निभाऊं कैसे
जज़्बात दिल में भरे पड़े हैं
पर खाली पेट उनको जुबां तक लाऊँ कैसे
वक्त बीतता गया उम्र ढलती गयी
अब तो चांदनी रात भी हमको
डराती है
अपने सुनहरे सपनो को जगाऊँ कैसे 
वक्त के ज़ुल्म-सितम को पल भर
में भुलाऊं कैसे?
मुकद्दर में क्या हैं ये हम नहीं जानते
पर जज़बात कुछ कर गुजरने की
आज भी काम नहीं है हम में
सोचती हूँ वक्त कितना रुलाएगा
कभी तो वो सूरज आएगा
जिस दिन अपने हिम्मत की जीत होगी.....

शुक्रवार, 10 मई 2019

मेरी अम्मा

जब अपनी गुड़िया को मैंने 
लिया गोद में पहली बार 
मुझको घूर रही थी तेरी
गोल-मटोल सी आँखे 
पूछ रही थी मानो मुझसे 
क्या तुम ही मेरी अम्मा हो 

मेरे अरमानो और सपनो की 
तुम ही भूल भुलैया हो 
शुरू तुम्ही से हूँ मैं मैया 
जीवन तुम पर अर्पित है 
तुम ही बिस्तर, तुम ही पालना 
तुम ही स्वर्ग की परियां हो 

तुम पर अपना 
खूब प्यार बरसाऊँगी 
मैं तेरा हर सपना अम्मा 
पूरा कर के दिखलाऊँगी

मेरी अम्मा तुझसे मेरा 
आज-अभी ये वादा हैं 
जब तेरी आँखें भीगेगी 
खुशियों की ही खातिर।