गुलाब की पंखुरियों पर
फैली ओस की कुछ बुँदे थी
उनको वहम था
हमसे कोमल कोई नहीं
हम तो सुन्दर है
खुशबूदार है
प्रकृति का श्रृंगार है
कोई छुए तो
मैं चुभ भी जाती हूँ
फिर भी लोग हम पे मरते है
हमारे संग ही
अपने प्रेम का इज़हार करते है
हमारा रंग जब लाल हो तो
प्यार बन जाता है
वही जब पीला हो तो
दोस्ती का शिखर बन जाता है
काला हो तो
उदासी का कारण बन जाता है
और जब सफ़ेद हो तो
हम शान्ति दूत बन जाते है
हमसे सुन्दर कौन है
हमसे कोमल कौन है
पर गुलाब की पंखुरियाँ
तुझे कहाँ पता है
ये बेरहम दुनिया
और इसके लोग
तेरा क्या हश्र करेंगे
जीने भी नहीं देंगे
तुम्हे मरने भी नहीं देंगे
अपने हाथो में ले कर
तुम्हे पूरी तरह खिलने भी नहीं देंगे
इनके कारनामों से
मौसम इतना बदला है कि
ये तुम्हे जीने भी नहीं देंगे
और मरने भी नहीं देंगे
अपने आप पर इतना इतराओ मत
ये बेरहम दुनिया है
ये किसी का भला नहीं चाहते
ये तो बस स्वार्थ में दुबे है
अपने लिए जीते है।
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