यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

तुम से तुम तक

इस ज़िन्दगी की गीत में  नीत नए संगीत में  हर घड़ी हर लम्हे में  मेरी साँसों में मेरी धड़कन में  हर जगह तुम साथ हो  बीते 27 वर्षों में  आदत तुम्...

शनिवार, 29 जून 2019

पंखुरियाँ

गुलाब की पंखुरियों पर 
फैली ओस की कुछ बुँदे थी 
उनको वहम था 
हमसे कोमल कोई नहीं 
हम तो सुन्दर है 
खुशबूदार है 
प्रकृति का श्रृंगार है 
कोई छुए तो 
मैं चुभ भी जाती हूँ 
फिर भी लोग हम पे मरते है 
हमारे संग ही 
अपने प्रेम का इज़हार करते है 
हमारा रंग जब लाल हो तो 
प्यार बन जाता है 
वही जब पीला हो तो 
दोस्ती का शिखर बन जाता है 
काला हो तो 
उदासी का कारण बन जाता है 
और जब सफ़ेद हो तो 
हम शान्ति दूत बन जाते है 
हमसे सुन्दर कौन है 
हमसे कोमल कौन है 
पर गुलाब की पंखुरियाँ 
तुझे कहाँ पता है 
ये बेरहम दुनिया 
और इसके लोग 
तेरा क्या हश्र करेंगे 
जीने भी नहीं देंगे 
तुम्हे मरने भी नहीं देंगे 
अपने हाथो में ले कर 
तुम्हे पूरी तरह खिलने भी नहीं देंगे 
इनके कारनामों से 
मौसम इतना बदला है कि 
ये तुम्हे जीने भी नहीं देंगे 
और मरने भी नहीं देंगे 
अपने आप पर इतना इतराओ मत 
ये बेरहम दुनिया है 
ये किसी का भला नहीं चाहते 
ये तो बस स्वार्थ में दुबे है 
अपने लिए जीते है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें