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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शनिवार, 30 दिसंबर 2023

पतंग

आसमान में उड़ी पतंग 

दूर-दूर तक चली पतंग 

कभी लड़ी फिर कटी पतंग 

गिर कर भी फिर उड़ी पतंग 

एक दूसरे से भिड़ी पतंग 

रंग-बिरंगी छोटी-बड़ी 

आसमान में सजी पतंग 

काटम-काट गुथ्थम-गुथ्था 

एक दूसरे से भिड़ी पतंग

दूर-दूर तक उडी पतंग। 

गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

सुबह

भोर में जब मिली चाँद तारों से मैं 

उनकी मुस्कान में एक अजब बात थी 

एक नया जोश था एक नयी बात थी 

सुबह की आहट से फैली थी जो रौशनी 

हर तरफ का नज़ारा गज़ब था दिखा 

हवाओं में थोड़ी सी ठिठुरन भी थी 

रात सपने में जो हमने देखा था कल 

आज उसको मुकम्मल करना जो था 

कोई सपना हमारा अधूरा न हो 

कोई मंज़िल हमारी न छूटे कभी। 

गुलाब

 सब फूलों में सुन्दर फूल 

फूल गुलाब है सुन्दर फूल 

लाल-पीला काला-नीला 

हर रंगों में मिले ये फूल 

बिछड़ों को भी खूब मिलाये 

रूठों को भी दोस्त बनाये 

उदास चेहरे पर ख़ुशी लाये।

रविवार, 24 दिसंबर 2023

खोता बचपन

आज के इस दौर में बचपन जैसे खो सा गया है 

खोता बचपन दोषी कौन 

घुटता बचपन दोषी कौन 

आज के माहौल में बच्चों का दुश्मन कौन 

इन मासूम बच्चों के जीवन का 

सबसे बड़ा अपराधी कौन 

सब मौन है सब है खामोश 

बचपन दम तोड़ रही है 

हर तीसरा बच्चा गूंगा-बहरा और स्पेशल है 

इस माहौल का ज़िम्मेदार कौन 

हर बच्चा अकेलेपन का है शिकार 

मायूस होती उनकी हंसती खेलती ज़िन्दगी 

कौन सुने उनकी इच्छाएं 

दादी-दादा के पास टाइम नहीं 

मम्मी-पापा मजबूर है 

नानी-नाना के सर पर ही सारा बोझ है। 

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

चलते चलते

चलते चलते आज कुछ यूँ याद आते है 

मन मगन है मुग्ध मन में गीत गाते है 

शाम ढलते ही विरह की याद आती है 

चलते-चलते ज़िन्दगी क्या-क्या दिखाती है। 


चलते-चलते आज कुछ यू याद आते है 

रह गए जो पीछे हमसे याद बन करके 

कभी-कभी उनकी याद आती है 

कुछ कड़वी कुछ मीठी यादे याद आती है। 


चलते-चलते आज कुछ यूं याद आते है 

रह गये सपने अधूरे मन मचलता है 

अपने ही हर बार हमको छोड़ जाते है 

आंसुओ में कर विदा हम उनको आते है। 


चलते-चलते आज कुछ यूं याद आते है 

दृश्य ये सुन्दर मनोरम याद आते है 

हर कठिन लम्हो को फिर हम भूल जाते है 

चलते-चलते यूं ही हम कुछ गीत गाते है 

फिर कहीं  को चल दिए कहीं लौट जाते है। 

बुधवार, 20 दिसंबर 2023

मेरे सपने

मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

चाहकर भी मुस्कुरा पाऊँ ना मैं 

हर दिन ख़ुशी की चाह में आँखे हमारी नम हुई 

बंद आँखों में भी सपने कभी ना तैरने 

खोलकर आँखों को कैसे स्वप्न में विचान करूँ 


मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

भोर से मायूसियो ने ढक लिया ऐसे मुझे 

शाम ढलकर भी न कोई ख्वाहिशें जागी मेरी 

पुरे दिन बोझिल थी आँखें आँसुओं के खोज में 


मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

चाँद तारों की चमक भी आँख में चुभ सी रही। 

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

बन्नो रानी

बन्नो रानी तू मत कुछ बोल 
तेरे चेहरे ने खोल दिया पोल 
शर्म से हो गयी तू गोल-मोल-रोल 

बन्नो रानी तू मत कुछ बोल
तेरे नयनों ने खोल दिया पोल 
तेरे आँखों में सपनो की रोल 
पिया जो मनमोहन है। 

बन्नो रानी तू मत कुछ बोल 
तेरे कंगन ने खोल दिया पोल 
खनकती कंगन ऐ व्याकुल होए 
साजन कब आएंगे आँगन मोरे 

बन्नो रानी तू मत कुछ बोल 
तेरे पाजेब ने खोल दिया पोल 
छम-छम बाजे ऐ पाजेब 
जहां भी जाए ऐ बन्नो रानी। 

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

आज का बच्चा

आज का बच्चा, थोड़ा सा है सच्चा 

पर है फिर भी मन का सच्चा-सच्चा 

करता है वह सब कुछ अच्छा-अच्छा 

रहता है हरदम वह खोया-खोया 

अपना वक्त करता रहता है जाया 

अपने मम्मी-पापा के आँखों का है वह तारा 

दादा-दादी के प्यार से है दूर-दूर 

चाचा-चाची, बुआ-फूफा के रिश्ते से है अनजान 

इसीलिए वो घर में लाता है तूफ़ान 

अपनी हर चाहत को वह देता है मुकाम 

अपना गुस्सा और प्यार दोनों माँ पर ही देता है वार। 

गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

नानी

नानी का आया संदेश 

अपना देश है सबसे प्यारा 

इसको याद हमेशा रखना 

कड़वे बोल कभी ना बोलना 

मीठा हरदम मिशरी घोले 

जो करना है वो कर डालो 

कल पर उसको कभी न टालो 

जीवन है अनमोल हमारा 

दोस्त पड़ोसी सब है प्यारे 

आस-पास में सबसे प्यार 

नानी का आया संदेश 

जाएंगे हम पिकनिक मेला 

घूमेंगे फिरेंगे नाचेंगे गाएंगे। 

गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

कुछ देर

 यादो को सुलाने में कुछ देर तो लगती है 

ख्वाबो को भुलाने में कुछ देर तो लगती है 

दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती है 

आपकी यादों से दूर जाने में कुछ देर तो लगती है 

अपनी मासूमियत को छुपाने में कुछ देर तो लगती है 

दिल में जलते थे प्रेम के दीये उसे बुझाने में कुछ देर तो लगती है 

हम हैं अभी अधूरे-अधूरे से 

अपने आप को मुक़म्मल करने में कुछ देर तो लगती है। 

मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

चाहत

 मैंने चाहतों की साड़ी उम्मीदे छोड़ दी 

खुश रहने लगा हूँ जबसे उम्मीदे छोड़ दी 

यूँ ज़िन्दगी को अक्सर जिया हूँ मैं 

गरजती बारिशों में भी सूखा रहा हूँ मैं 

काली घटाओ में भी रौशनी की चाह रखता था 

ज़िन्दगी चाहतों से लवरेज़ थी मेरी 

पर तन्हाइयों ने कुछ इस कदर तोड़ दिया 

आज खुशियाँ भी काटने को दौड़ती है 

रंग बिरंगी खुशियों के बीच 

हम कब अकेले हो गए पता ही नहीं चला। 

रविवार, 3 दिसंबर 2023

जीवन यात्रा

कैसे-कैसे मै खुद को बदल रही हूँ 

थाम कर हाथ मेरा साथ चल लो मेरे 

आज हर कदम पर फिसल रही हूँ मै

कैसे कैसे मै खुद को बदल रही हूँ

तुम पर भरोसा था साथ देने का 

राह में अपने कैसे-कैसे भटक रही हु मैं। 


कैसे-कैसे मैं खुद को बदल रही हूँ 

कहाँ पता था तुम ऐसे बदल जाओगे 

थी बेफ़िक्र तुम्हारे साथ रहने से 

अब ख़ौफ़ज़दा हूँ माहौल बदल जाने से। 


कैसे-कैसे मैं खुद को बदल रही हूँ 

ज़िन्दगी खिलती हुई धुप थी 

अब मैं कबसे ढलती सांझ को निहार रही हूँ 

सुबह और शाम में कम हो रहा है फासला। 


कैसे-कैसे मैं खुद को बदल रही हूँ 

पहले तो हवा की सरसराहट में भी संगीत था 

अब तो संगीत भी मुँह चिढ़ाने लगा है 

ढोलक की थाप से भी दम घुंटने लगा है 

ज़िन्दगी हर दिन अपना रंग बदल रही है।