चलते चलते आज कुछ यूँ याद आते है
मन मगन है मुग्ध मन में गीत गाते है
शाम ढलते ही विरह की याद आती है
चलते-चलते ज़िन्दगी क्या-क्या दिखाती है।
चलते-चलते आज कुछ यू याद आते है
रह गए जो पीछे हमसे याद बन करके
कभी-कभी उनकी याद आती है
कुछ कड़वी कुछ मीठी यादे याद आती है।
चलते-चलते आज कुछ यूं याद आते है
रह गये सपने अधूरे मन मचलता है
अपने ही हर बार हमको छोड़ जाते है
आंसुओ में कर विदा हम उनको आते है।
चलते-चलते आज कुछ यूं याद आते है
दृश्य ये सुन्दर मनोरम याद आते है
हर कठिन लम्हो को फिर हम भूल जाते है
चलते-चलते यूं ही हम कुछ गीत गाते है
फिर कहीं को चल दिए कहीं लौट जाते है।
वाह। "यादों" का संसार ऐसा है जिससे निकलना मुश्किल कार्य है। या हु कहे नामुमकिन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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