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गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

सुबह

भोर में जब मिली चाँद तारों से मैं 

उनकी मुस्कान में एक अजब बात थी 

एक नया जोश था एक नयी बात थी 

सुबह की आहट से फैली थी जो रौशनी 

हर तरफ का नज़ारा गज़ब था दिखा 

हवाओं में थोड़ी सी ठिठुरन भी थी 

रात सपने में जो हमने देखा था कल 

आज उसको मुकम्मल करना जो था 

कोई सपना हमारा अधूरा न हो 

कोई मंज़िल हमारी न छूटे कभी। 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सकारात्मक अभिव्यक्ति विभा जी।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो | सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं
  4. कोई सपना हमारा अधूरा न हो

    कोई मंज़िल हमारी न छूटे कभी।

    सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सृजन...
    सपना अधूरा ना रहेऔर मंजिल ना छूटे
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं