भोर में जब मिली चाँद तारों से मैं
उनकी मुस्कान में एक अजब बात थी
एक नया जोश था एक नयी बात थी
सुबह की आहट से फैली थी जो रौशनी
हर तरफ का नज़ारा गज़ब था दिखा
हवाओं में थोड़ी सी ठिठुरन भी थी
रात सपने में जो हमने देखा था कल
आज उसको मुकम्मल करना जो था
कोई सपना हमारा अधूरा न हो
कोई मंज़िल हमारी न छूटे कभी।
बहुत सुंदर सकारात्मक अभिव्यक्ति विभा जी।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद स्वेता जी
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंनव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो | सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशिल जी!!
हटाएंकोई सपना हमारा अधूरा न हो
जवाब देंहटाएंकोई मंज़िल हमारी न छूटे कभी।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती रचना
धन्यवाद कामिनी जी
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर सृजन...
जवाब देंहटाएंसपना अधूरा ना रहेऔर मंजिल ना छूटे
वाह!!!
धन्यवाद !!
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