यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

कुछ देर

 यादो को सुलाने में कुछ देर तो लगती है 

ख्वाबो को भुलाने में कुछ देर तो लगती है 

दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती है 

आपकी यादों से दूर जाने में कुछ देर तो लगती है 

अपनी मासूमियत को छुपाने में कुछ देर तो लगती है 

दिल में जलते थे प्रेम के दीये उसे बुझाने में कुछ देर तो लगती है 

हम हैं अभी अधूरे-अधूरे से 

अपने आप को मुक़म्मल करने में कुछ देर तो लगती है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें