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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

रविवार, 24 दिसंबर 2023

खोता बचपन

आज के इस दौर में बचपन जैसे खो सा गया है 

खोता बचपन दोषी कौन 

घुटता बचपन दोषी कौन 

आज के माहौल में बच्चों का दुश्मन कौन 

इन मासूम बच्चों के जीवन का 

सबसे बड़ा अपराधी कौन 

सब मौन है सब है खामोश 

बचपन दम तोड़ रही है 

हर तीसरा बच्चा गूंगा-बहरा और स्पेशल है 

इस माहौल का ज़िम्मेदार कौन 

हर बच्चा अकेलेपन का है शिकार 

मायूस होती उनकी हंसती खेलती ज़िन्दगी 

कौन सुने उनकी इच्छाएं 

दादी-दादा के पास टाइम नहीं 

मम्मी-पापा मजबूर है 

नानी-नाना के सर पर ही सारा बोझ है। 

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