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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

बुधवार, 31 जनवरी 2024

स्वप्न

रोज़ सपने में आओ 

शगुन दे के जाओ 

साथ खुशियाँ मनाओ 

हर्ष में गीत गाओ 

लहरों पे झूम जाओ 

कभी रूठ जाओ कभी फिर मनाओ 

मेरे स्वप्न में रोज़ ऐसे ही आओ 

शनिवार, 20 जनवरी 2024

माँ

माँ तुम्हारी याद मेरे दिल में बसती है 

तू नज़र के सामने मुझे रोज़ दिखती है 

ख्वाब में भी माँ मुझे दिल से लगाती है 

प्रेम का अपना शगुन मुझे दे के जाती है 

माँ मेरी मुझको तेरी बड़ी याद आती है 

हर कठिन रस्ते में माँ की याद आती है 

क्या करू कैसे तुम्हे दिल से लगाऊं माँ 

माँ तुम क्यों दूर हो, मेरे पास आओ माँ। 

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

मकान

आज के इस ज़माने में 

हर आदमी का 

अपना एक मकान होना चाहिए 

मुक़ाम मिले ना मिले 

मकान मिलना चाहिए 

ज़िन्दगी दर बदर की ठोकरों से 

गुलज़ार है 

दिन में ख़ामोशी तो 

रात में आँसुओ की दूकान है 

हर इंसान के दिल में 

चल रहा आज तूफ़ान है 

अकेली ज़िन्दगी कटती नहीं 

दिल के कोने में बस्ता एक शमशान है 

मकान से ही इंसान की पहचान है

वर्ना तो हर आदमी यहाँ 

एक किरायदार है। 

गुरुवार, 18 जनवरी 2024

धुंध

कड़ाके की ठंड थी 

आसमान धुआँ-धुआँ सा था 

दिन में भी अँधेरा था 

आग के इर्द-गिर्द सबका लगा डेरा था 

मूंगफली के दाने थे 

नानी की चटपटी कहानी थी 

वो दिन भी कितने सुहाने थे 

न घर चलाने का कोई बोझ था 

सब कुछ सुहाना-सुहाना सा था। 

मंगलवार, 16 जनवरी 2024

श्री राम

अयोध्या धाम आएंगे 

प्रभु श्री राम आएंगे 

मगन हम गीत गाएंगे 

गली-आँगन सजाएंगे 

मेरे प्रभु राम आएंगे 

उन्हें क्या-क्या खिलाएंगे 

ख़ुशी हमको प्रभु इतनी 

कि जमीं पर पैर टिक न पाएंगे 

हम उस दिन खूब नाचेंगे 

प्रभु के आगमन पर हम 

अपना घर सजाएंगे 

दिवाली फिर मनाएंगे 

ख़ुशी का गीत गाएंगे 

मेरे प्रभु राम आएँगे

अयोध्या धाम आएंगे 

हमको भी बुलाएंगे 

नयन फिर भीग जाएंगे 

मेरे प्रभु राम आएँगे। 

शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

पहेली

एक अबूझ पहेली हो तुम 

जितना समझने की कोशिश करू 

उलझती उतनी ही जाऊँ 

उलझन हर बार नयी आती है 

बार-बार मन को मेरे तड़पाती है 

ज़िन्दगी हर बार मुझे समझाती है 

रख सब्र इम्तिहान है तेरा 

मुकाम को मुकम्मल करने का 

वक्त अभी आया नहीं 

पहेली उलझती है उलझ जाने दो 

सुलझ जाएगी एक दिन यह भी पहेली 

वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमे उलझन न हो। 

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

मेरी माँ

माँ मेरी सपनो में मिली 

माँ ने दर्शन दिए मुझे 

माँ ने ख़ुशी का मंत्र बताया 

मुझको जीना माँ ने सिखाया 

भले बुरे का भेद बताया 

प्यार ख़ुशी का मोल सिखाया 

मुश्किल वक्त का सब्र सिखाया 

खोना-पाना हँसना-रोना 

माँ ने हर वो चीज़ सिखाई 

जीवन मेरा धन्य बनाया 

माँ का मर्म जो समझ न पाया 

जीवन जीना सीख न पाया। 

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

मेरे गम

ऐ जो गम है मेरे हमसफ़र है मेरे 

खुशियाँ छूट जाये पर ऐ छूटे भूल से ना 

जिनसे थी उम्मीद मुझे 

उनसे ही सबसे ना उम्मीद हो गए 

मेरे गम ने जो मुझे आईना दिखाया 

हम खुद से ही बेनकाब हो गए 

सच साबित न कर सके हम कभी 

झूठ के आगे ही बेज़ुबान जितना मुझे 

आज अपनी आँसुओं से दूर उतने हो गए। 

रविवार, 7 जनवरी 2024

मंज़िल

मंज़िल-मंज़िल करते हैं हम 

मंज़िल का कोई भान नहीं है 

कोई उसका रंग नहीं है 

कोई उसका नाम नहीं 

नाँव लहर से टकरा कर 

दूर किनारे जा रूकती है 

फिर भी नाविक लेकर उसको 

पुनः लौट है जाता 

बार-बार गिरकर भी उठना 

ठोकर खा-खा कर भी चलना 

नए-नए आयाम को गढ़ना 

रोज़ नए अनुभव से मिलना 

रोज़ नयी मुश्किल से लड़ना 

यही है मंज़िल यही राह है 

दोनों संग-संग चलते रहते 

जीवन का बस एक मंत्र है 

हरदम आगे बढ़ते रहना। 

शनिवार, 6 जनवरी 2024

बढे चलो

बढे चलो बढे चलो 

दूर नहीं है मंज़िल 

कुछ ख़ास नहीं है मुश्किल 

राह पथरीले ज़रूर है 

पर इतनी भी मुश्किल नहीं 

सफर आसान हो जायेगा 

जब चेहरे पर मुस्कान आएगा 

अपने में हौसला रखना सीख लो 

बढे चलो रास्ता मुश्किल ही सही 

मंज़िल तक जाती तो है 

सपनो में  रंग भरना है तो 

संभलकर चलना ही पड़ेगा 

मुश्किलें आसान हो जाती है 

जब इरादे पक्के हो।