मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
शिक्षा, शिक्षित, और शैक्षणिक संस्थान ये सब आपस में ऐसे जुड़े है जैसे एक माँ से बच्चे के हृदय के तार जो दिखाई कभी नहीं देता पर बच्चों के...
कड़ाके की ठंड थी
आसमान धुआँ-धुआँ सा था
दिन में भी अँधेरा था
आग के इर्द-गिर्द सबका लगा डेरा था
मूंगफली के दाने थे
नानी की चटपटी कहानी थी
वो दिन भी कितने सुहाने थे
न घर चलाने का कोई बोझ था
सब कुछ सुहाना-सुहाना सा था।
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