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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

मेरी माँ

माँ मेरी सपनो में मिली 

माँ ने दर्शन दिए मुझे 

माँ ने ख़ुशी का मंत्र बताया 

मुझको जीना माँ ने सिखाया 

भले बुरे का भेद बताया 

प्यार ख़ुशी का मोल सिखाया 

मुश्किल वक्त का सब्र सिखाया 

खोना-पाना हँसना-रोना 

माँ ने हर वो चीज़ सिखाई 

जीवन मेरा धन्य बनाया 

माँ का मर्म जो समझ न पाया 

जीवन जीना सीख न पाया। 

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