मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
शिक्षा, शिक्षित, और शैक्षणिक संस्थान ये सब आपस में ऐसे जुड़े है जैसे एक माँ से बच्चे के हृदय के तार जो दिखाई कभी नहीं देता पर बच्चों के...
रोज़ सपने में आओ
शगुन दे के जाओ
साथ खुशियाँ मनाओ
हर्ष में गीत गाओ
लहरों पे झूम जाओ
कभी रूठ जाओ कभी फिर मनाओ
मेरे स्वप्न में रोज़ ऐसे ही आओ
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