मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
हे प्रियतम तुम रूठी क्यों है कठिन बहुत पीड़ा सहना इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा निःशब्द अश्रु धारा बनकर मन की पीड़ा बह निकली तब है शब्द कहाँ कु...
रोज़ सपने में आओ
शगुन दे के जाओ
साथ खुशियाँ मनाओ
हर्ष में गीत गाओ
लहरों पे झूम जाओ
कभी रूठ जाओ कभी फिर मनाओ
मेरे स्वप्न में रोज़ ऐसे ही आओ
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