मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
हमको बुलाये ए हरियाली ए पहाड़ के आँचल हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल कभी दूर तो कभी पास ए करते रहे ठिठोली भोर - सांझ ये आते जाते होठों...
गणतंत्र दिवस है आया
हम सबकी खुशियां लाया
वीरों पे फक्र हो आया
वीरों ने देश बचाया
अपनी क़ुरबानी देकर
और हर ओर विजय लहराया
संविधान हमारा बनकर के
इस दिन को हमें मिला था
इस पावन दिन को तब से
हर वर्ष मनाते है हम
इस पावन पर्व पर खुशियाँ।
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