मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
आँखों में सपने थे ढेरो अरमान थे दिल में कुछ अलग करने की हमने भी ठानी थी सपने बड़े बड़े थे पर साधन बहुत सीमित थे मंज़िल आँखों के सामने थी ...
गणतंत्र दिवस है आया
हम सबकी खुशियां लाया
वीरों पे फक्र हो आया
वीरों ने देश बचाया
अपनी क़ुरबानी देकर
और हर ओर विजय लहराया
संविधान हमारा बनकर के
इस दिन को हमें मिला था
इस पावन दिन को तब से
हर वर्ष मनाते है हम
इस पावन पर्व पर खुशियाँ।
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