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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

आदमी

आदमी है आदमी से आज परेशान 

हर आदमी अंदर से है डरा-डरा 

कब कौन ऐसा मिल जाये 

जो ठग के ले जाये सब कुछ 

हर बात पर है धरना का ख़ौफ़ 

राह रोककर खड़े हो गए 

सबकुछ अस्त-व्यस्त कर डाला

ज़िन्दगी को संवार सकते नहीं 

बिगाड़ने पर आतुर हर दम रहते है। 

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