मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
इस ज़िन्दगी की गीत में नीत नए संगीत में हर घड़ी हर लम्हे में मेरी साँसों में मेरी धड़कन में हर जगह तुम साथ हो बीते 27 वर्षों में आदत तुम्...
आदमी है आदमी से आज परेशान
हर आदमी अंदर से है डरा-डरा
कब कौन ऐसा मिल जाये
जो ठग के ले जाये सब कुछ
हर बात पर है धरना का ख़ौफ़
राह रोककर खड़े हो गए
सबकुछ अस्त-व्यस्त कर डाला
ज़िन्दगी को संवार सकते नहीं
बिगाड़ने पर आतुर हर दम रहते है।
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