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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

आज

आज मुझे किसी ख़ास का इंतज़ार है 

जो वर्षों पहले छूट गया था कही 

उसका इंतज़ार मुझे आज है 

वो है अपना-अपना सा 

जब भी उसे देखती हूँ 

आँखों में आंसू और दिल में दर्द सा उठता है 

ज़िन्दगी कितनी विरान हो गयी थी 

आज मेरे मन में सैकड़ों दीप जगमगाये है 

दिवाली बेमौसम आज मेरे घर आयी है। 

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