आज मुझे किसी ख़ास का इंतज़ार है
जो वर्षों पहले छूट गया था कही
उसका इंतज़ार मुझे आज है
वो है अपना-अपना सा
जब भी उसे देखती हूँ
आँखों में आंसू और दिल में दर्द सा उठता है
ज़िन्दगी कितनी विरान हो गयी थी
आज मेरे मन में सैकड़ों दीप जगमगाये है
दिवाली बेमौसम आज मेरे घर आयी है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 19 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद !!!
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
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