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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

बंदगी

बंदगी के सिवा बंदगी के बिना
न भाया कभी न कुछ भी गवारा हुआ
आदमी ही आदमी का बस एक सहारा हुआ
हम किसे अपना कहे रब तक न अपना हमारा हुआ
अब हवा की नमी भी भिगोने लगी
आँखों में आसुओं का सहारा हुआ
चाँद-तारों पे जाने की बात करते थे हम
आज धरती भी अपनी खिसकने लगी
हर तरफ धुंध ही धुंध हैं
राह आगे की कैसे दिखेगी मुझे
इल्म इसका न अब तक हुआ हैं हमें
यहाँ पैसो से पैसों का है वास्ता
रिश्ते नाते भी पैसे की खातिर टूटे
प्रभु दर्शन का मौका भी उसको मिले
जिसके हाथों में हो नोटों की गड्डिया
खाली हाथ प्रभु भी न मानेंगे अब
हम जैसो का साहस बढ़ाएगा कौन
बंदगी के सिवा बंदगी के बिना

न भाया कभी न कुछ भी गवारा हुआ!

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

प्रकृति

हर ओर उदासी छाई
हर मन में भय का बना बवंडर
डर-डर कर जीने की आदत
अब अपनी दिनचर्या!

हर ओर उदासी छाई
दुःख की घड़ी उदासी में
धैर्य हमारा छूटा हमसे
गुस्से में तब्दील हुई जब
अपनों पर ही फूटा!

हर ओर उदासी छाई
धर्म सभा की आदत छूटी
डिस्को बना ठिकाना
चर्चा-परिचर्चा से ईश्वर
कब के हो गए ग़ायब!

हर ओर उदासी छाई
सबकी अपनी चाह अलग हैं
रहा न कोई नाता प्रकृति से
धर्म की बातें जन मानस को
करने लगी परेशान!

हर ओर उदासी छाई
कलयुग में अपराध का आलम
आसमान छूने को है
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
बने अखाड़े राजनीति के

हर ओर उदासी छाई!!

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

चुनाव

देखो मौसम बना चुनावी
नेताओं की फौज चली
हर ओर चुनावी सभा हो रही
बाजे-गाजे धूम-धड़ाके
गुथम-गुथा तू-तू मैं-मैं!

देखो मौसम बना चुनावी
घर-घर देखो वोट मांगते
नेताजी का कुनबा आया
हर वोटर से कहते हैं वो
हमें वोट ही देना
हम सच्चे हैं, हम अच्छे हैं
हम-सा दूजा कोई नहीं!

देखो मौसम बना चुनावी
हर पार्टी का अपना रोना
दुखड़ा अपना-अपना
हर पल रंग बदलते नेता
जनता हैं परेशान
उनके वादे, उनके इरादे
कौन हैं सच्चा, कौन हैं झूठा
मुश्किल बड़ा तय करना!

देखो मौसम बना चुनावी
हर वोटर की अपनी कीमत
सोच समझकर देना वोट
मुद्दा है बस एक हमारा
विकसित हो हर कोना-कोना

देखो मौसम बना चुनावी!!

शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

वसंत

देखो वसंत का मौसम आया
हर ओर सुहाना छाया
हर दिल में उमंगें भर दी
हर पेड़ हरा हो आया!

बागीचे में रंग-बिरंगी फूले खिली हुई हैं
ठंडी शीतल हवा के झोंके उनको छूकर जाए
खेतों में सरसों के फूल
पीली चादर बनकर छाए!

नए फसल के आने से
खिल उठे किसान के चेहरे
हर घर में रौनक छाई
सबको हैं अब इंतज़ार
रंगों की होली आई!

रंग-बिरंगे चेहरे होंगे
नए-नए पकवान बनेंगे
रूठे हुए भी गले मिलेंगे
मिल-जुलकर त्यौहार मनाये!

आओ सबको गले लगाए
देखो वसंत का मौसम आया
संग ढेरों ख़ुशियाँ ले आया

देखो वसंत का मौसम आया!!

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

तेरी यादें

मेरे मन में तेरी यादें
रच-बस गई हैं ऐसे
मैं चाहूँ भी तो
भूल न पाऊँ उसे
मन के हर पन्नो पे
छपी तस्वीर के जैसे!

बचपन का वो पल
न कोई चिंता
न कोई उलझन
हम बच्चों की एक टोली
कुछ छोटे, कुछ बड़े
न उम्र की कोई बंदिश
न जात-पात कि बातें
न गरीबी न अमीरी
बस हर ओर ख़ुशी ही ख़ुशी!

मेरे मन  में तेरी यादें
अब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हैं
हर ओर उलझन
हर ओर साज़िश
कहने को सब हैं
फिर भी अकेले
कुछ पल हैं ख़ुशी के
तो भी उन यादों की
काश वो पल फिर लौट आता
हम अपने बचपन की भाँती
आज भी खुश हो पातें
बिना-बैर-बिना रंजिश के

सबको गले लगा पाते!!

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

मुश्किल

हर कदम-दर कदम
मुश्किल आती रहेगी
चंद लफ्जों से, चंद लम्हों में
दूरियाँ कम होती रहेगी
कुछ कर गुज़रना हैं
इसकी हिम्मत तुमसे मिलती रहेगी
तुम मेरी प्रेरणा हो
मैं जब कभी हिम्मत हारने लगती हूं
मेरे सामने तुम्हारी तस्वीर
मेरी हिम्मत बन जाती हैं
मुश्किलों से लड़ना
उनसे आँख मिचोली खेलना
अब अपनी आदत बन गई हैं
मुश्किलों से मेरा वास्ता हर रोज़ होता हैं
पर उनसे गुज़र कर
अपनी हिम्मत भी रोज़ बढती हैं
हमें विश्वास हैं पूरा
एक दिन आएगा ऐसा
जब मुश्किलों को हारना ही होगा
हमारे हौसलों के सामने!!

सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

वो रूठे हैं हमसे..

वो रूठे हैं हमसे    
उनको मनाये कैसे?
ज़ज्बात अपने दिल के
उनको दिखाए कैसे
अपनी चाहत, अपना एहसास
उन तक पहुचायें कैसे
अपने दिल में उनकी जगह
उनको दिखायें कैसे!

वो रूठे हैं हमसे
उनको मनाये कैसे
खुशियों के समंदर में भी
हम गुमसुम हैं
इस ख़ामोशी की
दीवार को हटाएं कैसे
अब तुम सिर्फ मेरी
चाहत ही नहीं
मेरी आदत बन गए हो
ये सन्देश उन तक
पहुचाएं कैसे?!

वो रूठे हैं हमसे
उनको मनाये कैसे?
हर बार उनसे
पहल की उम्मीद करते हैं
इस बार अपनी तरफ से
कदम बढ़ाये कैसे
वो रूठे हैं हमसे

उनको मनाये कैसे?!

रविवार, 19 फ़रवरी 2017

बरसात

हर ओर घटा छाई है काली-काली
दसों दिशायें गूँज रही हैं
इन्द्रदेव के गर्जन से
मोर-मोरनी नाच रहे हैं
झूम-झूम के बागों में
गली-गली में मगन हैं बच्चे
अपनी ख़ुशी मनाने में
रोम-रोम पुलकित हो उठता
इस सुहावने मौसम में
तुम काश मेरे संग होते
तो आज मैं कह पाती
जो वर्षो से न कह पायी
इस मौसम में दूरी हैं
अपनी ये मजबूरी हैं
हर साल हैं सावन आता
पर इस सावन की बात अलग हैं!

हर ओर घटा है छाई काली-काली
जब-जब आसमान में गर्जन होता
बच्चे सहम हैं जाते
पर पेड़ो को देखो कैसे झूम रहे हैं
जैसे कोई बिछड़ा साथी
आज हैं मिलने आया
झूम-झूम के नाच रहे हैं
अपनी ख़ुशियाँ बाँट रहे हैं
प्रकृति प्रेम की अजब छटा हैं
आसमान में दूर घटा है
मन में तैरती ख़ुशी की लहरें

आज हैं वर्षो बाद!!

गुड़िया रानी

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
हर दम हस्ती रहती हो तुम
किलकारी जब गूँजे उसकी
मुझको भी मुस्कान है दे जाती
ठुमक-ठुमक के जब वो चलती
सबको अपने पीछे भगाती
जब उसको रोना आ जाता
पूरा घर सर पर ले लेती!

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
कितनी अच्छी, कितनी प्यारी
सांवली सूरत, मोहनी सूरत
आँखें हिरनी जैसी उसकी
छोटे-छोटे हाथ मुलायम
चहक-चहक घर को मेरे
ख़ुशियों से भर देती!

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
जैसे-जैसे बड़ी हुई
गुस्सा उसके नाक पर
नखरे इतने करती जैसे
आसमान हो मुट्ठी में
पर अगले पल ही मुस्का के
सबको अपने बचपन की
याद दिला हैं जाती

मेरी प्यारी गुड़िया रानी!!

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

गुरूदेव

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
हे करुणा के सागर प्रभु
मोहे दर्शन दे दो आज!

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
कर ज़ोर खड़े बहु आस लिए
विश्वास का मन में ज्योति लिए
वर्षो से दर पर खड़े हैं हम
मन में अटूट विश्वास लिए
तुम विनती मेरी सुन करके
कब मुझको गले से लगाओगे!

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
हैं सर्व धर्म समभाव सदा
मेरा तुमसे बस नाता हैं
दुनिया की ठोकर खा करके
बस आस तुम्ही से हैं मुझको!

चरणों में अपने रख लेना

बहु आस लागाये आई हूं!!

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

चांदनी रात

चांदनी रात में
तारों की बारात में
ख्वाबों के रथ पर सवार
मेरा मन कही खोया हुआ
कल्पना की उड़ान भरता हुआ
ज़िन्दगी के उन पलो को याद करके
मुस्कराया ऐसे जैसे वर्षो की
धुंध आँखों के सामने से छट गई हो!

चांदनी रात में
तारों की बारात में
विचारों के झंझावात ने
मुझे झकझोर कर रख दिया
मेरी सोई हुई कल्पना को
चंद पल में ऐसे जगा गई
जो वर्षो पहले गुजारा था
वो पल में सामने आ गया!

चांदनी रात में
तारों की बारात में
कल्पना के सफ़ेद घोड़े पर
सवार मेरा मन
यादों के बाग़ में विचरण कर रहा था
ऐसा लग रहा था मानो
सारी यादें मेरे सामने ही खड़ी हो
वर्षो की याद
पल भर में ताजा हो गई
इस चांदनी रात का शुक्रिया
किन शब्दों में करू
आज शब्द भी कम पड़ गए
इस चांदनी रात में
यादों की बारात में!

चांदनी रात में
तारों की बारात में
हम तो कही खो गए
हर रात चांदनी रात हो
यूँ ही कल्पना की उड़ान हो
बरसो की ज़िन्दगी पल भर में जी लें
बस हर रात ऐसी ही सुहावनी रात हो!!

सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

साई प्रभु!

अल्लाह हो तुम इश्वर हो तुम
महावीर नानक राम
परतिश साई शंकरा तुम ही हो मेरे प्राण
हर प्राणी के प्राण तुम हो
दिनों के तुम साई राम!

तुम करुना के सागर प्रभु हो
प्रभु सुन लो मेरी पुकार
दया सागरा राम तुम हो
कृष्ण कनैहया श्याम!

दिन-रात भजु हर शाम भजु
प्रभु दर्शन दे दो साई
हमे भक्ति की राह दिखा दो
ज्ञान की ज्योति जलाओ प्रभु!

प्रभु सुन लो मेरी पुकार
हमे राह दिखाओं प्रभु
हर मन में प्रेम की ज्योति जला दो
हर दिल में भक्ति भाव!

एक बार बस एक बार
प्रभु दर्शन दे दो साईं
अल्लाह हो तुम इश्वर हो तुम
महावीर नानक राम
तुम करुना के सागर प्रभु हो
प्रभु सुनलो मेरी पुकार!

रविवार, 12 फ़रवरी 2017

सैनिक

हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम
देख के तेरे मातृभाव को
अडिग अटल और सत्य काम को
शौर्य पराक्रम शूरवीर को
करते हैं सदा प्रणाम!

हे देश के वीर सपूतो
सीमा की रक्षा करना
पहला कर्तव्य तुम्हारा
मातृभूमि को माँ से पहले
रखकर तुम चलते हो
सर्दी-गर्मी, दिन और रात
कभी नहीं थकते हो!

हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम
सियाचीन की चोटी पर भी
तुम यु ही अटल रहते हो
तूफानों से लड़कर भी
रत्ती भर जोश ना कम होता!
हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम!

शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

बचपन

उन बचपन की गलियों में
सखी-सहेली सब मिल बैठे
गुड्डे-गुड़ियों की शादी में
हम बाराती बनकर आते
कोई दुल्हन का पक्ष निभाता
कोई दुल्हे का पक्ष
सब कुछ होता इतना सुन्दर
जिसे याद कर अब भी हम
खुद में हैं हंस लेते!

उन बचपन की गलियों में
सखी-सहेली सब मिल बैठे
रोज़ लड़ाई करते हम सब
फिर भी साथ ना छुटा
ये तेरा हैं, ये मेरा हैं
दिन में करते कई-कई बार!

उन बचपन की गलियों में
सखी-सहेली सब मिल बैठे
लेकिन अगले दिन ही फिर
कसम सभी हम खाते
अब नहीं लड़ना, मिलकर रहना
हम बच्चे हैं साथ-साथ!

उन बचपन की गलियों में
सखी-सहेली सब मिल बैठे
काश अभी हम जा पाते
अपना बचपन, अपनी बैठक
फिर से वही लगा पाते
वही सहेली, गुड्डे-गुड़िया
फिर से रंग जमा पाते!

उन बचपन की गलियों में
सखी-सहेली सब मिल बैठे
कितना सुन्दर बचपन था
और कितनी प्यारी सखियाँ
जिसे याद कर अब भी हम
खुद में हैं खो जाते!!

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

भारत वासी

जी भर कर जी लेने दो
थोड़ा तो जी लेने दो
जीवन तो पूरी बाकी हैं
थोड़ी मस्ती कर लेने दो
सुख-दुःख के जो साथी मेरे
उनको तो गले लगाने दो!

अपने अनमोल पलो को हमने
मस्ती की भेंट चढ़ा डाली
कुछ पल जीने के चाहत में
पुरे जीवन को धो डाला!

वक्त की क़द्र न की हमने
खुद में उलझे रह गए सदा
हम ऊब चुके हैं इस जीवन में
अब तो तूफ़ान मचा देंगे!

अब तक धू-धू कर जलते थे
किन्तु अब इस अंगारे से
अपने राह में आने वाली
हर पत्थर को पिघला देंगे!

हम धू-धू जलते अंगारे हैं
अब तूफानों को संग लिए
कुछ भी करके दिखला देंगे
रोना, भूखो मरना, रो कर खाना
यह नहीं हमारा जीवन हैं!

अंतहीन अन्धकार ज्योति की
कब तक और तलाश करू
अब तो जीवन को उच्च शिखर पर
पहुंचा कर ही दम लेंगे!

सुख-दुःख की हमे परवाह नहीं
अब शिखर से हैं नाता मेरा
टक-टकी लगी उस क्षण पे हैं
जब काम हमारा बोलेगा
जब नाम हमारा बोलेगा!

हम विश्व गुरु कहलायेंगे
हम सब को राह दिखाएँगे
हम शान्ति दूत बनकर के ही
एक नयी राह दिखलायेंगे!

हम धू-धू जलते अंगारे
अब तो तूफ़ान मचा देंगे
हम आन-बाण पर मरने वाले
कुछ भी कर के दिखलायेंगे!!

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

भारत

विशाल भारत देश हमारा
नए-नए हैं रंग यहाँ पर
नयी-नयी भाषाएँ
हर प्रांत की अपनी भाषा
अपना पहनावा है
सबके इश्वर अपने-अपने
फिर भी दिल हैं एक
खान-पान और रहन-सहन में
हर ओर निरालापन हैं
नर से लेकर नारायण तक
इस धरती के वासी
काशी हो या विश्वनाथ हो
या कृष्णा का वृन्दावन
इस पावन धरती पर आए
नर के रूप में नारायण
राजा राम अयोध्यावासी
परती-पुरिश्वर साईं राम
मथुरावासी कृष्ण की लीला
जाने तीनो लोक
संतो की इस धरती को
गौतम बुध की वाणी ने
जोड़ दिया पूरी दुनिया से
बन गया बोध गया पावन धाम
ऐसा हैं इतिहास हमारा
विशाल भारत देश हमारा!

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

हमसफ़र

मेरी कल्पना हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत अल्पना हो तुम
मेरे मन में छिपे तस्वीर की परिकल्पना हो तुम
ज़िन्दगी के सफ़र में हमसफ़र हो तुम
मुश्किलों के डगर में हिम्मत हो तुम
चाहे जहां भी देखूँ हर जगह हो तुम!

मेरी कल्पना हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत अल्पना हो तुम
हर कदम मेरे साथ, मेरा विश्वास हो तुम
ख़ुशियों के बयार का एहसास हो तुम
हर गम को भूल जाऊँ जब साथ हो तुम
मेरी हिम्मत हो तुम मेरी साहस हो तुम!

मेरी कल्पना हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत अल्पना हो तुम
मैंने तुम संग शुरू की थी अपने सपनों का सफ़र
हर कदम तुम हमारे और मैं तुम्हारी ताकत हैं
मुश्किलों को हटना होगा, हमारी जीत की ख़ातिर
हमारे सफ़र को मंज़िल तक पहुँचना होगा!

मेरी कल्पना हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत अल्पना हो तुम
हमारे सपनों को हकीक़त में बदलना होगा
चाहे कितनी भी मुश्किल हो सब्र रखना ही होगा
मंज़िल अब दूर नहीं पर दौर कठिन है
इस कठिनाई को सूझ-बुझ से निपटना ही होगा!

मेरी कल्पना हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत अल्पना हो तुम!!