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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

भारत वासी

जी भर कर जी लेने दो
थोड़ा तो जी लेने दो
जीवन तो पूरी बाकी हैं
थोड़ी मस्ती कर लेने दो
सुख-दुःख के जो साथी मेरे
उनको तो गले लगाने दो!

अपने अनमोल पलो को हमने
मस्ती की भेंट चढ़ा डाली
कुछ पल जीने के चाहत में
पुरे जीवन को धो डाला!

वक्त की क़द्र न की हमने
खुद में उलझे रह गए सदा
हम ऊब चुके हैं इस जीवन में
अब तो तूफ़ान मचा देंगे!

अब तक धू-धू कर जलते थे
किन्तु अब इस अंगारे से
अपने राह में आने वाली
हर पत्थर को पिघला देंगे!

हम धू-धू जलते अंगारे हैं
अब तूफानों को संग लिए
कुछ भी करके दिखला देंगे
रोना, भूखो मरना, रो कर खाना
यह नहीं हमारा जीवन हैं!

अंतहीन अन्धकार ज्योति की
कब तक और तलाश करू
अब तो जीवन को उच्च शिखर पर
पहुंचा कर ही दम लेंगे!

सुख-दुःख की हमे परवाह नहीं
अब शिखर से हैं नाता मेरा
टक-टकी लगी उस क्षण पे हैं
जब काम हमारा बोलेगा
जब नाम हमारा बोलेगा!

हम विश्व गुरु कहलायेंगे
हम सब को राह दिखाएँगे
हम शान्ति दूत बनकर के ही
एक नयी राह दिखलायेंगे!

हम धू-धू जलते अंगारे
अब तो तूफ़ान मचा देंगे
हम आन-बाण पर मरने वाले
कुछ भी कर के दिखलायेंगे!!

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