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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

रविवार, 19 फ़रवरी 2017

गुड़िया रानी

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
हर दम हस्ती रहती हो तुम
किलकारी जब गूँजे उसकी
मुझको भी मुस्कान है दे जाती
ठुमक-ठुमक के जब वो चलती
सबको अपने पीछे भगाती
जब उसको रोना आ जाता
पूरा घर सर पर ले लेती!

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
कितनी अच्छी, कितनी प्यारी
सांवली सूरत, मोहनी सूरत
आँखें हिरनी जैसी उसकी
छोटे-छोटे हाथ मुलायम
चहक-चहक घर को मेरे
ख़ुशियों से भर देती!

मेरी प्यारी गुड़िया रानी
जैसे-जैसे बड़ी हुई
गुस्सा उसके नाक पर
नखरे इतने करती जैसे
आसमान हो मुट्ठी में
पर अगले पल ही मुस्का के
सबको अपने बचपन की
याद दिला हैं जाती

मेरी प्यारी गुड़िया रानी!!

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