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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

अँधेरी रात

अँधेरी रात की सुबह कब आएगी
दर्द के बाद ख़ुशी का सूरज कब दिखलाएगी
अँधेरी रात ने जब चारों ओर से घेरा हमें
हमने रौशनी से अंधेरे को
हराने की कसम खायी तब
इस हौसले को तब-तक बनाए रखना है
जब तक अँधेरी रात हार न जाए
हमारे हौसले के हाथों
दोस्तों अँधेरी रात को दीवाली
के दिए से जगमगा दो
अपने हौसले को इतना बुलंद रखो

कि अपनी जिंदगी से हर अँधेरे को भगा दो!

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