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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

गुरूदेव

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
हे करुणा के सागर प्रभु
मोहे दर्शन दे दो आज!

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
कर ज़ोर खड़े बहु आस लिए
विश्वास का मन में ज्योति लिए
वर्षो से दर पर खड़े हैं हम
मन में अटूट विश्वास लिए
तुम विनती मेरी सुन करके
कब मुझको गले से लगाओगे!

गुरूदेव दया के सागर प्रभु
मैं शरण तिहारे आई हूं
चरणों में अपने रख लेना
बहु आस लगाए आई हूं
हैं सर्व धर्म समभाव सदा
मेरा तुमसे बस नाता हैं
दुनिया की ठोकर खा करके
बस आस तुम्ही से हैं मुझको!

चरणों में अपने रख लेना

बहु आस लागाये आई हूं!!

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