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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

माँ सरस्वती

हे माँ वर दे वीणावादिनी!
कर में कलम, वाणी में मिठास
कल्पना में पूरा संसार
मन में परिवर्तन का एहसास
दिल में हो सुकून और शान्ति
लिख दूँ मैं सारा संसार
मेरे हाथों में इतनी शक्ति दे दो
जला दूँ हर दिल में प्रेम की ज्योति
मेरी लेखनी में इतनी ताकत भर दो
इस वर्ष कलम को इतनी ताकत दे दो
कि तलवार की हर चाल विफल हो जाए
इस देश की आवो हवा को
ख़ुशियों से भर दो
हर बच्चा कलम की ताकत जान ले
उसमे इतना जान भर दो

बस इतना वर दो हे माँ वीणावादिनी!

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