चांदनी रात में
तारों की बारात में
ख्वाबों के रथ पर सवार
मेरा मन कही खोया हुआ
कल्पना की उड़ान भरता हुआ
ज़िन्दगी के उन पलो को याद
करके
मुस्कराया ऐसे जैसे वर्षो
की
धुंध आँखों के सामने से छट
गई हो!
चांदनी रात में
तारों की बारात में
विचारों के झंझावात ने
मुझे झकझोर कर रख दिया
मेरी सोई हुई कल्पना को
चंद पल में ऐसे जगा गई
जो वर्षो पहले गुजारा था
वो पल में सामने आ गया!
चांदनी रात में
तारों की बारात में
कल्पना के सफ़ेद घोड़े पर
सवार मेरा मन
यादों के बाग़ में विचरण कर रहा
था
ऐसा लग रहा था मानो
सारी यादें मेरे सामने ही
खड़ी हो
वर्षो की याद
पल भर में ताजा हो गई
इस चांदनी रात का शुक्रिया
किन शब्दों में करू
आज शब्द भी कम पड़ गए
इस चांदनी रात में
यादों की बारात में!
चांदनी रात में
तारों की बारात में
हम तो कही खो गए
हर रात चांदनी रात हो
यूँ ही कल्पना की उड़ान हो
बरसो की ज़िन्दगी पल भर में
जी लें
बस हर रात ऐसी ही सुहावनी
रात हो!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें