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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

मुश्किल

हर कदम-दर कदम
मुश्किल आती रहेगी
चंद लफ्जों से, चंद लम्हों में
दूरियाँ कम होती रहेगी
कुछ कर गुज़रना हैं
इसकी हिम्मत तुमसे मिलती रहेगी
तुम मेरी प्रेरणा हो
मैं जब कभी हिम्मत हारने लगती हूं
मेरे सामने तुम्हारी तस्वीर
मेरी हिम्मत बन जाती हैं
मुश्किलों से लड़ना
उनसे आँख मिचोली खेलना
अब अपनी आदत बन गई हैं
मुश्किलों से मेरा वास्ता हर रोज़ होता हैं
पर उनसे गुज़र कर
अपनी हिम्मत भी रोज़ बढती हैं
हमें विश्वास हैं पूरा
एक दिन आएगा ऐसा
जब मुश्किलों को हारना ही होगा
हमारे हौसलों के सामने!!

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