यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

शिक्षा

शिक्षा,  शिक्षित,  और शैक्षणिक संस्थान  ये सब आपस में ऐसे जुड़े है  जैसे एक माँ से बच्चे के हृदय के तार  जो दिखाई कभी नहीं देता  पर बच्चों के...

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

बंदगी

बंदगी के सिवा बंदगी के बिना
न भाया कभी न कुछ भी गवारा हुआ
आदमी ही आदमी का बस एक सहारा हुआ
हम किसे अपना कहे रब तक न अपना हमारा हुआ
अब हवा की नमी भी भिगोने लगी
आँखों में आसुओं का सहारा हुआ
चाँद-तारों पे जाने की बात करते थे हम
आज धरती भी अपनी खिसकने लगी
हर तरफ धुंध ही धुंध हैं
राह आगे की कैसे दिखेगी मुझे
इल्म इसका न अब तक हुआ हैं हमें
यहाँ पैसो से पैसों का है वास्ता
रिश्ते नाते भी पैसे की खातिर टूटे
प्रभु दर्शन का मौका भी उसको मिले
जिसके हाथों में हो नोटों की गड्डिया
खाली हाथ प्रभु भी न मानेंगे अब
हम जैसो का साहस बढ़ाएगा कौन
बंदगी के सिवा बंदगी के बिना

न भाया कभी न कुछ भी गवारा हुआ!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें