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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

बुधवार, 1 मार्च 2017

रिश्ते नाते

रिश्ते नाते प्यार वफ़ा सब
ये सब तो अब सपना हैं
बँगला गाड़ी रूपये पैसे
इनसे सबको प्यार हैं आज
एक घर में दस-दस घर बनते
अजब-ग़जब संसार बना
जिससे कुछ मिलने की आशा
सबको उसी से प्यार हैं आज!

रिश्तों के आगे पैसों का
कैसा गर्म बाज़ार हुआ
जिसकी खन-खन से ख़ुशियाँ हैं
जिसके जाने से रोना हैं
अजब-ग़जब संसार की लीला
कैसा ये माहौल बना!

रिश्ते-नाते प्यार वफ़ा सब
ये तो बस पैगाम बना
अपने ही अपनों के दुःख से
कैसे अब अनजान बना
रूपये-पैसों की ताकत ने

सबको अपने बस में किया!!

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